राजस्थान सरकार के महाधिवक्ता जीएस बापना का कहना है कि हाई कोर्ट ने 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं देने के अंतरिम आदेश को यथावत रखा है, ऐसे में गुर्जरों को 1 फीसदी विशेष आरक्षण मिलता रहेगा। दूसरी ओर याचिकाकर्ता वकील एसपी शर्मा का कहना है कि अधिनियम 2008 लागू होने से पहले आरक्षण की स्थिति को बहाल किया गया है। पूर्व में 49 फीसदी आरक्षण दिया हुआ था, ऐसे में गुर्जरों को 1फीसदी आरक्षण नहीं मिल सकेगा।
उधर गुर्जर समुदाय के वकील आरआर बैंसला का कहना है कि गुर्जरों को १ फीसदी विशेष आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा क्योंकि इसके बाद भी सभी का कुल आरक्षण 50 फीसदी ही होता है।
क्या कहा है हाईकोर्ट ने :
50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता कोटा, गुर्जरों को नहीं मिली राहत
राजस्थान हाई कोर्ट ने गुर्जरों को विशेष पिछड़ा वर्ग और सवर्ण गरीबों को आर्थिक पिछड़ों के तौर पर दिए आरक्षण पर रोक हटाने से इनकार करते हुए अधिनियम 2008 को एक साल तक स्थगित करने का आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश महेश भगवती की खंडपीठ ने बुधवार को यह आदेश राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र जी. शर्मा सहित कैप्टेन गुरुविंदर सिंह एवं अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया। खंडपीठ ने कहा कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह पिछड़ी जातियों गुर्जर, रैबारी, राइका, बंजारे और गाड़िया लुहारों के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक व संख्यात्मक आंकड़े इकट्ठे करे। इन आंकड़ों को राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष पेश करे। आयोग इन आंकड़ों पर विचार करते हुए यदि पचास फीसदी से अधिक आरक्षण की सिफारिश करता है, तो राज्य सरकार विशेष आरक्षण दे सकेगी, हालांकि आयोग की सिफारिश के दो महीने तक अंतरिम आदेश पर रोक जारी रहेगी।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता व राज्य सरकार की ओर से पेश रिकार्ड व राज्य सरकार की ओर से दी गई आरटीआई सूचना से स्पष्ट है कि इन जातियों को आरक्षण देने के लिए कानून बनाने से पहले उन्होंने इनके संख्यात्मक व तथ्यात्मक आंकड़े एकत्र नहीं किए। इस पर सरकार ने एक साल का समय मांगा, जिसे खंडपीठ ने मंजूर कर दिया। अधिनियम की धारा 2 के तहत क्रीमिलेयर की वार्षिक आय सीमा ढाई लाख रु. से साढ़े चार लाख रु. बढ़ा दी गई थी, जबकि धारा 3 एवं 5 के तहत शिक्षण व सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया था।
फैसले के मायने क्या?
गुर्जर
गुर्जर सरकार पर दबाव बनाकर जल्द से जल्द पिछड़ापन साबित करवाना चाहेंगे। वे ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण में अपना 5 प्रतिशत कोटा अलग से तय करने की मांग भी कर सकते हैं। ज्यादातर राज्यों में ओबीसी आरक्षण विभिन्न श्रेणियों में बंटा है।
सरकार
सरकार पर अब यह जिम्मेदारी आ गई है कि वह हाईकोर्ट के आदेश के तहत जल्द से जल्द गुर्जरों को या तो विशेष पिछड़ा वर्ग में साबित करे या फिर ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण में उनका अलग से कोटा तय करे। बड़ी बात यह है कि कोर्ट ने आरक्षण बिल को अवैध घोषित नहीं किया।
हम
आंदोलनकारियों के दबाव में सरकार भर्तियों की प्रक्रिया से कदम खींच सकती है। अगर ऐसा हुआ तो एक लाख भर्तियां अटक जाएंगी। गुर्जर आंदोलन भड़का तो जरूरी सामान की आपूर्ति कुछ दिन के लिए रुक सकती है।
गुर्जर आंदोलन समाप्त करें : गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि निर्णय की प्रति मिलने के बाद विश्लेषण करेंगे। गुर्जर नेताओं की सलाह से कार्यवाही तय करेंगे। मैं अपील करता हूं कि वे आंदोलन समाप्त कर वार्ता की टेबल पर आएं। हम गुर्जर भाइयों और अन्य जातियों के हितों की पूरी हिफाजत करना चाहते हैं। इस मामले में आपस में बैठकर विचार-विमर्श करेंगे और आगे की कार्यवाही तय करेंगे। न्याय से ही कानून व्यवस्था कायम रहती है और हम सबको कानून व्यवस्था का सम्मान करना चाहिये और उसमें भरोसा भी-अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार
अभी राज्य में आरक्षण की यह है स्थिति
एससी : 16 फीसदी
एसटी : 12 फीसदी
ओबीसी : 21 फीसदी(दैनिक भास्कर,जयपुर,23.12.2010)
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