शिक्षा निदेशालय द्वारा निजी स्कूलों को मिली छूट का खामियाजा अभिभावकों को भुगतना पड़ेगा। विशेषतौर पर एल्युमिनाई (पूर्व छात्र) का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। नामचीन स्कूलों के प्वाइंट को लेकर दाखिले से पहले ही अभिभावकों में असंतुष्टि आ गई है।
एल्युमिनाई के प्वाइंट को स्कूल एल्युमनाई न होने पर भी दे रहे हैं। ऐसे में स्कूल द्वारा दिए गए प्वाइंट का कोई मूल्य ही नहीं है। कुछ ऐसा ही नामचीन स्कूल संस्कृति के प्वाइंट सिस्टम में सामने आया है। स्कूल के वेबसाइट में दी गई जानकारी के मुताबिक स्कूल की स्थापना मई १९९६ में हुई है और स्कूल का कार्यांवयन अगस्त १९९८ में हुआ है। इसके मुताबिक यहां से पास हुए छात्र इस समय एल्युमनाई के श्रेणी में नहीं आएंगे। लेकिन स्कूल ने जारी किए अपने नियमों में सामान्य श्रेणी में एल्युमनाई को पांच प्वाइंट दिए हैं। इसके अलावा घर से स्कूल की दूरी को २५ और भाई-बहन को २० प्वाइंट दिए गए हैं। लेकिन अभिभावकों को कहना है कि इस मुताबिक कुल प्वाइंट में से पांच प्वाइंट हटाकर ही बच्चे का मूल्यांकन होगा। जब स्कूल के एल्युमनाई अभी तैयार ही नहीं हुए हैं तो प्वाइंट का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है।
वहीं मयूर विहार के एल्कॉन इंटरनेशन स्कूल एल्युमनाई के प्वाइंट को दूसरे श्रेणियों में विभाजित करेगा। स्कूल के प्राचार्य अशोक पाण्डेय ने बताया कि क्योंकि स्कूल का कार्यांयन २००१ से हुआ है तो अभी स्कूल के एल्युमनाई तैयार ही नहीं है। ऐसे में प्वाइंट को घर से स्कूल की दूरी में बांट दिया गया है जिससे कि अभिभावकों को सहूलियत हो। बेवजह एल्युमनाई में प्वाइंट देकर उतने अंक खराब करने की बात होगी। घर से स्कूल की दूरी को भी तीन भागों में विभाजित किया गया है। इसमें सबसे पास के दायरे को ३०, २५ और २० अंक रखे गए हैं। इसके अलावा भाई-बहन को २५, विकलांग को १०, पहले बच्चे या लड़की को १०, अकेले अभिभावक को १० और स्थांतरण को १५ प्वाइंट दिए जाएंगे।
इस पूरे मामले में नर्सरी दाखिलों की जानकारी देने वाली वेबसाइट "नर्सरी एडमिशन डॉट कॉम" के वेबमास्टर और एजुकेशन फॉर ऑल एनजीओ के अध्यक्ष सुमित वोहरा का कहना है कि निदेशालय से मिली छूट का स्कूल वाले पूरा फायदा उठा रहे हैं। एल्युमिनाई के प्वाइंट का उन स्कूलों को ध्यान देना चाहिए जिनके एल्युमनाई अभी तैयार ही नहीं है। बेवजह प्वाइंट रखने से बच्चे के मूूल्यांकन में से उतने अंक कम हो जाएंगे। ऊपर से एल्युमनाई के प्वाइंट में बारहवीं का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है जो कि शिक्षा के अधिनियम के खिलाफ है। इसमें एक तरह से अभिभावक की शिक्षा को देखा जा रहा है। एल्युनमनाई के प्वाइंट को लेकर अभिभावकों में बहुत असंतुष्टि है। विशेषतौर पर उन अभिभावकों में जो कि दिल्ली के बाहर से पढ़े हैं(नई दुनिया,दिल्ली,23.12.2010)
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