वर्ष 2010 ने शिक्षा के क्षेत्र के लिए काफी उथल पुथल वाला रहा। बेसिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा में काफी परिवर्तन हुए। इलाहाबाद में उच्च शिक्षा में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। इलाहाबाद विश्र्व विद्यालय के कुलपति प्रो. राजेन हर्षे का कार्यकाल नवम्बर में पूरा हुआ। राजनीति को परिसर का हिस्सा न बनने देना और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर वह खासा चर्चा में रहे। इविवि में सेमेस्टर प्रणाली की शुरूआत की गई। कई नये विभागों का सृजन हुआ और कई विभागों का विस्तार हुआ। यूजीसी ने विवि में शिक्षक बनने के लिए नेट परीक्षा को अनिवार्य कर दिया। पीएचडी में प्रवेश के लिए नये नियम बनाए गए। शिक्षकों की पदोन्नति के लिए मानकों का निर्धारण किया गया। पाठ्यक्रमों को अधिक से अधिक रोजगारपरक बनाया जाए, इसके प्रयास कारगर साबित हुए। रोजगार ब्यूरो के माध्यम से दर्जनों सेवानियोजन से जुड़े तो एमबीए की छात्रा का एसबीआई में चयन हुआ। लाख जतन के बावजूद छात्र कल्याण योजनाओं की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। वर्ष भर में अरबी फारसी विभाग के छात्र दो बार सड़कों पर उतरे। हालैंड हाल में अधीक्षक एवं छात्रों के विवाद का मामला नहीं सुलझ सका। वरिष्ठता के आधार पर कार्यकारी कुलपति के रूप में प्रो. एनआर फारूकी की नियुक्ति की गई। उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा विभाग में निदेशक पद पर तैनात मियां जान सेवानिवृत्ति हुए। बीएड में शासन द्वारा निर्धारित अधिक शुल्क से अधिक लेने की खबर निरंतर आई। मेरठ सेंटर सर्वाधिक संवेदनशील रहा। नेट की तर्ज पर शिक्षकों के लिए राज्य स्तरीय स्लेट परीक्षा की हरी झंडी मिलने की संभावना बढ़ी है। उच्च शिक्षा मंत्री के आश्र्वासन के बाद भी नगर में राज्य विश्वविद्यालय खुलने के असार नहीं दिखे। मुक्त विवि के अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने विशिष्ट बीटीसी में प्रवेश की हरी झंडी दिखाई। दूरस्थ शिक्षा परिषद का बीएड की 55 प्रतिशत अंकों की बाध्यता पर भी अंकुश लग गया। लोकसेवा आयोग के माध्यम से राजकीय इंटर कालेजों में शिक्षकों के हजारों पद भरे गए। मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में निदेशक एबी समद्दर सेवानिवृत्त हुए। इसी वर्ष छात्र निलंबन छात्र उग्र हुए। शिक्षक कर्मचारियों ने उनके विदाई पखवारे में हड़ताल कर माहौल गर्मा दिया। यहां पर जनसंचार की कमी के कारण यहां के विकास कार्य मीडिया की नजरों से बोझिल रहे। माध्यमिक शिक्षा के लिए यह साल परिवर्तन भरा रहा। हाईस्कूल में ग्रेडिंग सिस्टम लागू हुआ। हाईस्कूल परीक्षा का सम्पूर्ण प्रारूप परिवर्तित कर दिया गया। सभी विषयों के लिए 1 प्रश्नपत्र की योजना को लागू कर दिया गया। इंटर में भाषा संबंधी विषयों में भी एक प्रश्नपत्र कर दिया गया। हिंदी में फेल तो सब में फेल की नीति भी लागू की गई। पूरक परीक्षा का विकल्प छात्रों के लिए नई ऊर्जा का संचार लेकर आया। सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर माध्यमिक शिक्षा अभियान की शुरूआत हुई। बेसिक शिक्षा में शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया गया। सरकार ने 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा के दायरे में लाया गया। दो दशक के बाद ग्रामीण अंचलों से नगरीय क्षेत्रों में स्थानांतरण का आदेश जारी किया गया। मिड डे मील परियोजना में मेनू से लेकर संसाधनों में सुधार किया गया। रसोइयों को आनलाइन एवं उनकी मानदेय को बैंक खाते में डाला गया। स्कूलों में भोजन बनने में पंचायत सेक्रेटरी की भूमिका को समाप्त किया गया। इंटर कालेजों में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए भी मिड डे मील उपलब्ध कराया गया। आइवीआरए योजना के माध्यम से पठन पाठन में पारदर्शिता की उम्मीद जताई गई(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,30.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।