दो साल पहले लागू किए गए सेमेस्टर की छोटी-छोटी गलतियां छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी मुसीबत साबित होने लगी हैं। ऐसी ही एक गलती का खामियाजा भुगतने मजबूर हैं प्रदेश के 28 हजार से अधिक छात्र। रुके हुए विषय पास करने के बाद भी यह छात्र पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। असल में यह सेमेस्टर पैटर्न के तहत बनाए गए नियमों की एक बड़ी खामी है। इसे लेकर पिछले दो साल से छात्र हल्ला मचा रहे हैं। विश्वविद्यालयों से लेकर विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि यह गलत है। छह माह की पढ़ाई के आधार पर एक साल के लिए छात्रों को नहीं रोका जाना चाहिए, लेकिन हड़बड़ी सेमेस्टर पैटर्न लागू कर विभाग ऐसा फंस गया है कि अब छोटा सा संशोधन भी नहीं कर पा रहा है। इस पुरानी गलती का बड़े रूप में खामियाजा पहली बार सामने आया है। पहले से लेकर चौथे सेमेस्टर तक में एक या दो विषय में रुके छात्रों को सभी विश्वविद्यालयों ने पांचवे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल करने से मना कर दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें से अधिकांश छात्र इन विषयों में पास भी हो चुके हैं। इन्हें भी विवि पांचवे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं कर रहा है। इन सभी की परेशानी यह है कि छह माह तो पहले ही खराब हो चुके हैं। अब छह माह और निकल जाएंगे। ऐसे में बिना वजह इन सभी का एक साल खराब हो जाएगा। जबकि वार्षिक परीक्षा पैटर्न में सप्लीमेंट्री में निकलते ही सभी छात्र अगले साल की परीक्षा दे देते थे।
बीयू में पांच हजार छात्र :
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में ऐसे छात्रों की संख्या करीब पांच हजार बताई जा रही है। एक बार तो विवि प्रशासन एटीकेटी परीक्षा ले चुका है। कई पास भी हो चुके हैं। मगर पिछले साल से एटीकेटी परीक्षा भी खत्म कर दी गई है। ऐसे में रुके हुए विषय की परीक्षा देने के लिए सभी को एक साल का इंतजार करना पड़ता है।
राज्यपाल से भी लगाई गुहार :
अपना भविष्य बचाने ये छात्र सभी जगह से हारने के बाद राज्यपाल से भी मुलाकात कर चुके हैं। राज्यपाल को दो बार ज्ञापन देने के अलावा छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से भी गुहार लगा चुके हैं। सभी जगह से इन्हें आश्वासन दिए गए हैं, लेकिन अमल आजतक नहीं हुआ(दैनिक जागरण,भोपाल,23.12.2010)।
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