सरकार के दिशा-निर्देश और शिक्षा का अधिकार (आरटीइ) कानून का पालन करने के लिए राजधानी के पब्लिक स्कूल प्रशासन तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत 25 फीसदी गरीबी कोटा थोपा जाना असंवैधानिक है। अगर सरकार ने जबरन कोटा थोपने की कोशिश की तो स्कूलों में 20 से 40 फीसदी तक फीस की बढ़ोतरी जनवरी के मध्य से की जाएगी। इसकी घोषणा बृहस्पतिवार को इंडिया इस्लामिक सेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में निजी स्कूलों के ग्रुप एक्शन कमेटी ने की है।
करीब दो दर्जन स्कूलों के प्रबंधकों और प्रिंसिपलों ने गरीबी कोटे का विरोध किया है। एक्शन कमेटी के अध्यक्ष एसके भट्टाचार्य, महासचिव एमएस रावत, केएल लूथरा आदि ने कहा कि सरकार यह भार निजी स्कूलों पर क्यों थोपना चाहती है। केंद्र सरकार ने कानून बनाया है तो दिल्ली सरकार और स्कूल खोले और उसमें बच्चों को पढ़ाए। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार इन बच्चों के फीस के बारे में कोई घोषणा नहीं की है। अगर सरकार जबरन गरीबी कोटा थोपती है तो वे फीस में 20 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी कर देंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को पढ़ाना ही चाहती है तो निजी स्कूल इमारत देने को तैयार हैं। दिल्ली सरकार उसमें दोपहर बाद के शिफ्ट में कक्षाएंलगवाए और शिक्षक भी खुद रखे।
एक्शन कमेटी का कहना है कि आरटीइ में छह साल से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की बात कही गई है। लेकिन यह कौन बताएगा कि आठ साल तक बच्चा स्कूल ही नहीं गया तो उसका दाखिला किस कक्षा में होगा। उसे वहां तक की शिक्षा कौन देगा? दिल्ली सरकार को हर हाल में इसका जबाव देना ही होगा(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,23.12.2010)।
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