राइट टु एजुकेशन एक्ट को लागू हुए आठ महीने से भी ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन लेकिन सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी अब भी बड़ी समस्या बनी हुई है। खास बात यह है कि इस समस्या को दूर करने के ठोस प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं। कानून के मुताबिक, स्कूलों में हर 35 स्टूडेंट्स पर 1 टीचर होना चाहिए, लेकिन दिल्ली में राज्य सरकार के 926 स्कूलों में ही शिक्षकों के 7200 पद खाली पड़े हैं। हर साल शिक्षकों के खाली पदों का आंकड़ा 7,000-8,000 के बीच होते है।
दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले 5 साल में स्टूडेंट्स की संख्या 8 लाख से बढ़कर 13 लाख से ज्यादा हो गई है, लेकिन टीचर्स की कमी दूर नहीं हो पाई है। हालांकि शिक्षा निदेशालय दावा करता है कि स्टूडेंट्स की बढ़ती तादाद को देखते हुए टीचर्स नियुक्त किए जा रहे हैं, लेकिन हालात वहीं के वहीं हैं। सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 66 नए पदों को मिलाकर कुल 272 पद खाली हैं। वाइस प्रिंसिपल के 517 पद खाली हैं, जिनमें 197 नए पद हैं। टीजीटी के सबसे ज्यादा यानी 4404 पद को भरा जाना है। पीजीटी में 624, होम साइंस में 106, ड्रॉइंग में 131, योगा में 87, फिजिकल एजुकेशन में 111 टीचर्स कम हैं। इसके अलावा असिस्टेंट टीचर के 948 पद खाली हैं।
गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट ओम सिंह और सेक्रेटरी डी. के. तिवारी का कहना है कि सरकारी स्कूलों का रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों के बराबर पहुंच गया है और यही कारण है कि इन स्कूलों में स्टूडेंट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि इन खाली पड़े पदों के अलावा कम से कम 10,000 नए पद बनाए जाने चाहिए, तभी शिक्षकों की कमी दूर होगी और राइट टु एजुकेशन एक्ट सही मायनों में लागू हो पाएगा।
असोसिएशन का कहना है कि बहुत से सरकारी स्कूलों में एक क्लास में 110 बच्चे भी पढ़ रहे हैं और टीचर को काफी समस्या होती है। टीचर्स पर अच्छे रिजल्ट का दबाव भी होता है। ऐसे में जरूरी है कि क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या कम हो। यह तभी हो सकता है जब टीचर के सभी पद भरे जाएं।
शिक्षा विभाग टीचर्स की कमी को दूर करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स और गेस्ट टीचर की भी नियुक्ति करता है, लेकिन जब तक रेग्युलर टीचर नियुक्त नहीं होंगे, तब तक समस्या बनी रहेगा। गौरतलब है कि सीबीएसई ने भी हाल में एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि एक क्लास में 40 से ज्यादा स्टूडेंट्स नहीं होने चाहिए, जबकि संगम विहार, दयालपुर, सीमापुरी समेत कई जगहों पर स्कूलों में एक क्लास में 100 स्टडेंट्स आराम से देखने को मिल जाएंगे(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,11.12.2010)।
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