युक्तियुक्तकरण में लेटलतीफी और शासन की नीतियों के कारण जिले के सैकड़ों स्कूलों में शिक्षाकर्मियों के पद खाली पड़े हैं। जिल के 12 ब्लाकों में से सिर्फ तीन ब्लाकों में शिक्षाकर्मी वर्ग तीन के लिए भर्ती प्रक्रिया हो पाई है। अन्य ब्लाकों में विज्ञापन जारी न होने के कारण पद खाली होने के बावजूद भर्ती नहीं हो रही।
व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने पिछले साल शिक्षाकर्मियों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की थी। जनपद व जिला पंचायतों द्वारा स्कूलों में पद खाली होने की जानकारी के आधार पर विज्ञापन का प्रकाशन कराया गया। युक्तियुक्तकरण के बाद खाली पदों के आधार पर विज्ञापन दिए गए।
जिले के नौ ब्लाकों में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद खाली न होने के कारण विज्ञापन का प्रकाशन नहीं कराया गया। बाद में पदोन्नति प्रक्रिया के दौरान शिक्षाकर्मी वर्ग-3 से वर्ग-2 और वर्ग-2 से वर्ग-1 के लिए पदोन्नति होने पर काफी पद खाली हो गए। इन रिक्त पदों पर अब नियुक्ति संभव नहीं है।
परीक्षा देने वाले सैकड़ों बेरोजगारों को अब अगले साल फिर से परीक्षा देना होगी। इसके बाद ही रिक्त पदों पर नियुक्ति हो पाएगी। वर्तमान में शिक्षाकर्मी वर्ग-1 व व्याख्याता के लगभग 800 पद रिक्त हैं। शिक्षाकर्मी वर्ग-2 के 340 पद खाली है। इसके अलावा, वर्ग-3 के लगभग 715 पद खाली पड़े हैं। शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के लिए नियुक्ति प्रक्रिया सिर्फ डौंडीलोहारा, बेरला और बेमेतरा ब्लाक में हो रही है।
लेटलतीफी के कारण हुई गड़बड़ी : रिक्त पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशन से पहले शिक्षा विभाग युक्तियुक्तकरण और पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया। ये प्रक्रियाएं लंबे समय तक चलती रही।
युक्तियुक्तकरण के बाद पदोन्नति प्रक्रिया में देरी होने के कारण सैकड़ों खाली पदों की जानकारी व्यापमं की परीक्षा के महीनों बाद पंचायत विभाग को मिली। नतीजा ये है कि पद खाली होने के बावजूद नियुक्तियां नहीं हो रही है।
सभी बीईओ से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई गई है। रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया में लेटलतीफी के कारणों का पता लगाने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों में खाली पदों पर भर्ती न होने के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संध्या भारद्वाज, उपाध्यक्ष जिला पंचायत दुर्ग(दैनिक भास्कर,दुर्ग,12.12.2010)
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