विवादास्पद प्रश्न पत्र को तैयार करने वाले प्रोफेसर नूर मोहम्मद भट्ट के बचाव में शनिवार को जम्मू-कश्मीर कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (जेकेसीटीए) व इस्लामिया कॉलेज डाऊन-टाऊन के छात्र मैदान में उतर आए हैं। शनिवार को जेकेसीटीए ने जहां गिरफ्तारी की निंदा करते हुए प्रोफेसर की रिहाई की मांग की, वहीं इस्लामिया कालेज के पास कुछ युवकों ने जुलूस निकालने का प्रयास करते हुए पथराव किया। इस बीच, पुलिस ने नूर मोहम्मद भट्ट को छह दिन के लिए रिमांड पर ले लिया है। बीए, बीएससी और बीकॉम-प्रथम वर्ष की अंग्रेजी की वार्षिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में पथराव और मानवाधिकारों के हनन को लेकर अलगाववादी भावनाओं को भड़काने वाले प्रश्न शामिल किए गए थे। पुलिस ने इस संदर्भ में कार्रवाई करते हुए प्रश्न पत्र तैयार करने वाले गांधी मेमोरियल कॉलेज के अंग्रेजी के प्रोफेसर नूर मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया था। शनिवार को जेकेसीटीए के अध्यक्ष तारिक अशाई ने भट्ट का बचाव करते हुए कहा कि यह प्रश्न पत्र अगस्त में तैयार किया गया था। सभी को मालूम है कि उस समय कश्मीर की स्थिति कैसी थी। सरकार को तत्कालीन हालात को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर नूर मोहम्मद वाकई अलगाववादी विचारधारा का होता तो वह समय-समय पर चुनावी ड्यूटी में हिस्सा नहीं लेता बल्कि बहिष्कार करता। उसका रिकार्ड बहुत अच्छा रहा है। लगता है कि वह जून- जुलाई के हालात से भावुक हो गया था। उन्होंने कहा कि नूर मोहम्मद को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। उसने भावनाओं में बहकर ऐसा कुछ किया होगा, लेकिन यहां कई ऐसे प्रोफेसर भी हैं जो स्थानीय अखबारों में राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए घातक लेख लिखते हैं, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती(दैनिक जागरण,श्रीनगर,12.12.2010)।
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