केन्द्र सरकार की मंशा है कि मदरसों की शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो। इसके लिए सरकार ने मदरसा शिक्षा का आधुनिकीकरण योजना बनायी है। इसके तहत सरकार ने मदरसों में मानदेय शिक्षकों को नियुक्त करने का फैसला किया है। योजना के मुताबिक जिले में मानक पूरा करने वाले प्रत्येक मदरसे को तीन मानदेय शिक्षक रखने का अधिकार मिलेगा। इसके लिए विभाग की तरफ से जनपद के 150 मदरसों की सूची प्रदेश सरकार के मार्फत केन्द्र सरकार को भेज दी गयी है।
बता दें कि अभी तक मदरसों में प्रबंधकीय व्यवस्था के तहत शिक्षक रखे जाते थे। मदरसों में छात्र-छात्राओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है। मदरसों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए कई बार आन्दोलन और धरना-प्रदर्शन भी हो चुका है। परिणाम यह रहा कि केन्द्र सरकार ने शिक्षकों को मानदेय पर रखने का निर्णय ले लिया। स्नातक योग्यता वाले मानदेय शिक्षक को छह हजार रुपये और स्नातकोत्तर एवं बी.एड. योग्यताधारी मानदेय शिक्षक को 12 हजार रुपये मानदेय देने की व्यवस्था की गयी है।
बताते हैं कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मानदेय शिक्षकों को नियुक्त करने के लिए जनपद के उन मदरसों से सूची मांगी थी जो अर्ह हों। इसके बाद मानदेय शिक्षकों की नियुक्त के लिए जनपद के 150 मदरसों ने अपनी सूची विभाग को भेज दी है। इसी के साथ उन्होंने अर्हता का सबूत भी दे दिया है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने उक्त मदरसों की सूची का अवलोकन किया और उसे प्रदेश सरकार को भेज दिया है। इन अर्ह मदरसों की सूची केन्द्र सरकार को भेजी जानी है।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी जगन्नाथ पाण्डेय ने बताया कि केन्द्र सरकार एसपीक्यूईएम योजना के तहत मदरसों में मानदेय शिक्षक रखने की व्यवस्था करने जा रही है। इस बारे में शीघ्र ही मंजूरी मिल जाएगी। धन अवमुक्त होने के बाद मदरसों में नियुक्ति-प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी(दैनिक जागरण,गोरखपुर,4.12.2010)।
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