डीयू की एमफिल की छात्रा के साथ तीन प्रोफेसरों द्वारा यौन उत्पीड़न करने के मामले में विवि की एपेक्स कमेटी द्वारा सिर्फ एक प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करने व बाकी दो को छोड़ दिए जाने का मामला उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। छात्रा की तरफ से दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने डीयू व संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। छात्रा ने इस मामले को फिर से खोले जाने की मांग करते हुए बाकी के दो प्रोफेसरों से जिरह करने का मौका दिए जाने की मांग की है। जांच रिपोर्ट के सभी कागजात भी सौंपे जाने बात कही है। मामला सितंबर 2008 में तब उजागर हुआ, जब डीयू के हिंदी विभाग में एमफिल कर रही छात्रा ने कुलपति प्रो. दीपक पेंटल, विश्र्वविद्यालय शिकायत कमेटी (यूनिवर्सिटी यूनिट कंप्लेन कमेटी) और डीयू की सर्वोच्च जांच समिति एपेक्स कमेटी को लिखित शिकायत कर हिंदी विभाग के तीन प्रोफेसरों अजय तिवारी, रमेश गौतम और तत्कालीन हिन्दी विभागाध्यक्ष सुधीश पचौरी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। छात्रा ने शिकायत में बताया था कि सन 2007 में वह डीयू के स्कूल आफ ओपन लर्निग से एमए हिंदी में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही थी। वहां पढ़ाने आने वाले हिंदी विभाग के प्रो. अजय तिवारी ने उसके साथ छेड़छाड़ की और शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला। उसे भद्दे आपत्ति जनक मोबाइल से संदेश भी भेजे। छात्रा बार-बार परेशान किए जाने के बाद भी चुप होकर अजय तिवारी गंदे इरादों से जूझती रही। छात्रा पूरे एसओएल में एमए में द्वितीय नंबर पर रही। एमफिल में जब दाखिले के लिए हिन्दी विभाग में फार्म भरा और एमफिल का सिलेबस जानने के लिए वह 2007 में अगस्त-सितंबर में हिंदी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश गौतम के पास गई तो उन्होंने भी कहा कि अजय तिवारी की बात मानने के लिए दबाव डाला और बात न मानने पर विश्र्वविद्यालय से भगा देने की धमकी दी। उसने यहां तक कहा कि हम लोग सब मिल बांट कर काम करते हैं। जब वह एमफिल की छात्रा बन गई तब भी दोनों से परेशान किया। डीयू के तत्कालीन कुलपति प्रो. दीपक पेंटल ने कमेटी बनाई, लेकिन कमेटी सवालों के घेरे में आ गई। फिर दूसरी कमेटी बनी लेकिन उसने भी छात्रा से गलत व्यवहार किया फिर छात्रा के शिकायत पर उसे भंग कर पूरे मामले की जांच का जिम्मा एपेक्स को सौंपा(दैनिक जागरण,दिल्ली,9.12.2010)
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