मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

06 दिसंबर 2010

राजस्थानःआधा सत्र बीता,शिक्षकों की कमी नहीं हुई पूरी

राजस्थान के सरकारी कॉलेजों में आधा सत्र बीतने के बाद भी छात्र रामभरोसे पढने को मजबूर हैं। पिछले पांच माह में नए-नए प्रयोगों के बावजूद उच्च शिक्षा विभाग से सरकार की बजट घोषणाएं तक पूरी नहीं हो पा रहीं। शिक्षकों की कमी को पाटने के लिए अब विभाग और कॉलेज शिक्षा आयुक्त कार्यालय ने नए सिरे से कवायद शुरू की है।

दरअसल, सरकारी कॉलेजों में जहां 1400 से अघिक शिक्षकों के पद पहले से ही खाली चल रहे थे, वहीं सरकार ने मौजूदा बजट में इसी सत्र से 19 कॉलेजों में विज्ञान और वाणिज्य के नए संकाय खोलने की घोषणा कर दी। वहीं, विभाग ने ये संकाय खोल दिए और इनमें छात्रों के प्रवेश भी ले लिए। लेकिन इस सत्र में अब तक अघिकांश कॉलेजों में इन विष्ायों के शिक्षक नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक कुल रिक्त पदों में तीन सौ से अघिक 'जीरो पोस्ट' थीं, जिन पर एक विष्ाय में कुल स्वीकृत पदों की अपेक्षा एक भी शिक्षक कार्यरत नहीं था। उधर, विभाग ने महज 50 अघिशेष्ा व्याख्याताओं को लगा इति श्री कर ली, शेष्ा अभी भी खाली हैं।

सारे प्रयोग विफल

विभाग ने हाल ही गैस्ट फैकल्टी के जुगाड से सेवानिवृत शिक्षकों और अन्य योग्यताधारियों को संविदा पर नियुक्ति देने के आदेश जारी किए थे। दोदिन बाद ही यह आदेश महज सेवानिवृत शिक्षकों तक सीमित रह गए। सूत्रों के अनुसार नए संविदा आधारित व्याख्याताओं के बाद में अदालत में जाने की आशंका के चलते ऎसा हुआ। दूसरी तरफ यह निमंत्रण सेवानिवृत व्याख्याताओं को भी आकçष्ाüत नहीं कर पाया। अब कॉलेज शिक्षा आयुक्त कार्यालय ने नए सिरे से सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है।

कब भरेगी खाई
प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में कुल स्वीकृत करीब पांच हजार पदों में से 1400 से अघिक खाली चल रहे हैं। कुछ माह पहले सरकार ने अक्टूबर में साढे चार सौ पदों के लिए लोक सेवा आयोग के जरिए भर्ती भी निकलवाई है, लेकिन इन शिक्षकों के आने में कितना समय लगेगा, फिलहाल पता नहीं।

तदर्थ व्यवस्था कर रहे हैं
शिक्षकों की कमी के कारण अभी भी कई जगह शिक्षक नहीं लग पाए हैं। हम तदर्थ व्यवस्था कर रहे हैं। इस बारे में नए सिरे से सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है।डॉ.पी.एल.अग्रवाल आयुक्त कॉलेज शिक्षा(राजस्थान पत्रिका,जयपुर,6.12.2010)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।