मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल शैक्षिक न्यायाधिकरण विधेयक को राज्य सभा से पारित कराने की फिर कोशिश करेंगे। राज्य सभा की इस हफ्ते की कार्यसूची में इस बिल को चर्चा और पारित कराने के लिए दर्ज किया गया है। मानसून सत्र के दौरान इस बिल को पेश करते वक्त सिब्बल की काफी फजीहत हुई थी। कांग्रेस सहित अन्य सदस्यों के जबरदस्त विरोध का उन्हें सामना करना पड़ा था। इस बिल के पारित हो जाने के बाद उच्च शिक्षा से जुड़े मसलों के समाधान के लिए न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा। शैक्षिक न्यायाधिकरण बिल को लोकसभा से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। मानसून सत्र के दौरान जब कपिल ने इस बिल को राज्य सभा में पेश किया तो सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ था। विपक्षी सदस्यों के साथ-साथ कांग्रेस के केशव राव भी बिल के खिलाफ उतर आए। सदस्यों का कहना था कि इस बिल के बाबत जब मानव संसाधन मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति ने प्रतिकूल टिप्पणी दी है तो इसे पेश करने की मंत्री क्यों जल्दबाजी कर रहे हैं। केशव राव ने संसदीय समिति की सिफारिश खारिज करने के लिए सिब्बल की कटुआलोचना की। उन्होंने कहा कि सिब्बल अनावश्यक तेजी दिखा रहे हैं। सदस्यों के हंगामे की वजह से इस बिल की पेशी का मामला शीतकालीन सत्र के लिए टाल दिया गया। इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद च्च्च शिक्षा से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा न्यायाधिकरण का गठन किया जाएगा। न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में शिक्षकों की सेवा संबंधी शर्त का अनुपालन, कॉलेज की मान्यता, च्च्च शिक्षण संस्थानों की कार्यप्रणाली से जुड़े विवादों का निपटारा करना शामिल होगा। न्यायाधिकरण के पास सजा सुनाने व जुर्माना लगाने का अधिकार भी होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,6.12.2010)।
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