भारत सरकार का संस्थान इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ क्रॉप प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (आइआइसीपीटी), तंजावुर (तमिलनाडु) रांची में अपनी नयी शाखा खोलेगा. एक माह में इसके अधिकारी यहां पहुंच जायेंगे. अधिकतम तीन माह में इसकी प्रयोगशाला स्थापित कर ली जायेगी.सबसे पहले झारखंड के लोकप्रिय पेय हड़िया पर शोध होगा.
शोध इसकी गुणवत्ता बढ़ाने, लंबे समय तक इसके संरक्षण व बेहतर पैकेजिंग के तरीके अपनाने के लिए होगा. अन्य खाद्य व पेय पदार्थो के निर्माण प्रक्रिया व गुणवत्ता की जांच भी यहां होगी. सबसे बड़ी बात कि झारखंड में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े उत्पादों का पेटेंट अब रांची में ही संभव होगा.
सभी जरूरी जांच के बाद दिये जाने वाले प्रमाण पत्र के जरिये देश भर में कहीं भी इसकी मार्केटिंग संभव होगी.उधर विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग की काउंसिल भी आइआइसीपीटी को सहयोग करेगा. काउंसिल हड़िया के साथ-साथ ताड़ी को भी व्यापक बाजार दिलाना चाहता है.
इसके लिए दुमका पॉलिटेक्निक में सात दिसंबर को संताल परगना इलाके के ताड़ी उत्पादकों के कौशल विकास के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले काउंसिल की ओर से उपायुक्त (दुमका) से संभावना वाले ताड़ी उत्पादकों की सूची भेजने का आग्रह किया गया था. उपायुक्त ने 20 बड़े उत्पादकों की सूची काउंसिल को उपलब्ध करायी है(प्रभात खबर,रांची,6.12.2010).
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।