रिटेल सेक्टर में भारतीय रत्न व आभूषण इंडस्ट्री तेजी से फल-फूल रही है। इसके साथ-साथ जेमोलॉजिस्ट्स के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। दुनिया भर में इस इंडस्ट्री से जुड़े उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ दक्ष पेशेवरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।
आज मेनुअल प्रोसेसिंग से लेकर वैल्यू-एडेड ब्रांडेड प्रोडक्ट तक रत्न व आभूषण इंडस्ट्री बदलते समय के साथ चलते हुए कई गुना तक बढ़ चुकी है। देश और दुनिया में इस इंडस्ट्री से जुड़े उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ दक्ष पेशेवरों की मांग भी बढ़ती जा रही है। इंडस्ट्री की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे कई इंस्टीट्यूट खुल गए हैं, जो जेमोलॉजी व ज्वेलरी डिजाइनिंग का कोर्स करवाते हैं। मौजूदा दौर में इस क्षेत्र से जुड़े हजारों पेशेवरों की दरकार है और यह तय मानकर चलिए कि आने वाले वर्षो में इस मांग में और इजाफा होने वाला है। यहां पेशेवर लोगों से आशय दक्ष लोगों से हैं, जिनमें जेमोलॉस्ट्सि, स्टोर कीपर, आईटी प्रोफेशनल्स, एचआर मैनेजर, मार्केटिंग प्रोफेशनल्स और बिजनेस प्लानर शामिल हैं। इस इंडस्ट्री में सेलरी की कोई बाधा नहीं है।
सेक्टर के बारे में
भारतीय अर्थव्यवस्था में रत्न व आभूषण इंडस्ट्री सबसे तेज बढ़ती इंडस्ट्रीज में से एक है, जो सालाना तकरीबन १५ फीसदी की दर से बढ़ रही है। इसका घरेलू बाजार लगभग १६.१ अरब डॉलर का है और ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेड फेडरेशन (एक नोडल एजेंसी जो देशभर के तकरीबन ३,क्क्,क्क्क् ज्वेलरों का प्रतिनिधित्व करती है) के मुताबिक अगले तीन-चार वर्षो में यह इंडस्ट्री २५.२ अरब डॉलर तक बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, दुनिया में सबसे ज्यादा सोने की खपत हमारे यहां होती है। यहां सालाना तकरीबन ८क्क् टन सोने की खपत होती है जो दुनियाभर में सोने की कुल खपत का २क् फीसदी है। इसमें से ६क्क् टन सोना ज्वेलरी बनाने में चला जाता है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उभरता ट्रेडिंग सेंटर है। हमारी इंडस्ट्री में डिजाइनिंग के हिसाब से बेहतरीन कारीगर मौजूद हैं, जो उत्कृष्ट ज्वेलरी तैयार करते हैं। खास बात यह है कि दूसरे मुल्कों के मुकाबले हमारे यहां ज्वलेरी निर्माण की श्रम लागत भी कम आती है।
जेमोलॉजिस्ट्स का कार्य
एक जेमोलॉजिस्ट का काम अलग-अलग रत्नों के भेद को पहचानना है। रत्नों के बारे में सीखने का पहला चरण इसका स्पष्ट वर्गीकरण है। इसके अगले चरण में रत्नों की टर्मिनोलॉजी, उनकी भौतिक व दृश्यात्मक खूबियां और इन खूबियों के आधार पर रत्नों की पहचान करना सिखाया जाता है। इस क्षेत्र से जुड़ी स्टडीज में रत्नों की कटिंग, छंटाई, ग्रेडिंग, पहचान व मूल्यांकन, फैशन, कंप्यूटर पैटर्न डिजाइनिंग, ज्वेलरी मेकिंग, रत्न संबंधी सलाह, बिक्री इत्यादि शामिल हैं। एक जेमोलॉजिस्ट रत्नों की गुणवत्ता, खूबियांे और मूल्य के बारे में अध्ययन करता है, जबकि ज्वेलर जेवर निर्माण से जुड़े काम के बारे में सीखता है।
योग्यता
ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने १0+२ या इसके समकक्ष परीक्षा किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से उत्तीर्ण की हो, जेमोलॉजी से जुड़े डिप्लोमा, डिग्री या सर्टिफिकेट कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। जेमोलॉजी से जुड़े कोर्स में दाखिले के लिए न्यूनतम आयु सीमा १८ वर्ष है। अधिकतम आयु सीमा नहीं है। इस क्षेत्र से जुड़े रिसर्च कार्य के लिए अभ्यर्थी के पास जियोलॉजी, केमिस्ट्री या फिजिक्स जैसे विषय में पीजी डिग्री होनी चाहिए।
व्यक्तिगत योग्यता
बेहतरीन जेमोलॉजिस्ट बनने के लिए आपके पास तीक्ष्ण प्रेक्षण दृष्टि होनी चाहिए, ताकि आप बारीक से बारीक भेद को पकड़ सकें। आपकी एकाग्रता बेहतर हो। इसके अलावा आप अकेले में कार्य करने में सक्षम हों और ऑब्जेक्टिव एप्रोच रखते हों। इन सब खूबियों के अलावा आपके पास कलात्मक व सृजनात्मक हुनर, सौंदर्य बोध और कलर सेंस्टिविटी होनी चाहिए। जैमोलॉजिस्ट्स में सूक्ष्म अवलोकन करने, गहराई से जांच करने और शुद्धता की प्रामाणिकता सिद्ध करने की क्षमता होनी चाहिए। आपको पारंपरिक जेवरों के अलावा आधुनिक ट्रेंड्स का भी ज्ञान होना चाहिए क्योंकि इनका कलात्मक चीजों व डिजाइनों पर असर पड़ता ही है।
रोजगार के अवसर
भारतीय रत्न कटिंग करने वालों और कारीगरों को पूरी दुनिया में बेहद इज्जत की नजर से देखा जाता है। इस मार्केट के बढ़ने में भारतीयों का काफी बड़ा हिस्सा रहा है। रिटेल सेक्टर में भारतीय रत्न व आभूषण इंडस्ट्री तेजी से फल-फूल रही है। इसके साथ-साथ जेमोलॉजिस्ट्स के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। कोई जेमोलॉजिस्ट/ज्वेलरी डिजाइनर किसी ज्वेलरी हाउस से जुड़ने के अलावा खुद ही काम शुरू करके नाम कमा सकता है, बस उसे मार्केट की नब्ज पर नजर रखनी पड़ेगी। इस क्षेत्र से जुड़े दक्ष पेशेवर लोगों के लिए एक्सपोर्ट हाउसेस में भी रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं। ज्वेलरी डिजाइनिंग के अलावा आप जैम कटिंग, जड़ाऊ जेवर बनाने, सुधारने और रत्न जड़ित घड़ियां बनाने का काम भी कर सकते हैं। इसके अलावा खुद डिजाइन तैयार करके बड़े ज्वेलर और कंपनियों को डिजाइन देने का काम भी मुनाफे का सौदा है। आभूषणों का बाजार बहुत बड़ा और बेहद प्रतियोगी है, इसलिए अपना काम शुरू करने से पहले सेल्स, मार्केटिंग और बिजनेस मैनेजमेंट के बारे में जरूर सीख लें।
पारिश्रमिक
जेमोलॉजी और ज्वेलरी डिजाइन एक ऐसा पेशा है, जिसमें बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा आती है। आप रत्न व आभूषणों से जुड़ी मनभावन डिजाइनों व आइडिया पेश करते हुए अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं। हालांकि यह उस कंपनी पर भी निर्भर करता है, जिसके लिए आप काम व डिजाइनिंग करते हैं। इस पेशे के शुरुआती चरण में आप १२,क्क्क् से २५,क्क्क् रुपए मासिक तक कमा सकते हैं। आपके द्वारा अर्जित कार्यानुभव और काम में झोंकी गई मेहनत के आधार पर आपकी कमाई कई गुना तक बढ़ सकती है(दैनिक भास्कर,29.11.2010)।
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