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13 दिसंबर 2010

मध्यप्रदेशःशिक्षा और रोज़गार समाचार

अतिथि वक्ताओं को मिलेगा सम्मान
कॉलजों में पढ़ा रहे अतिथि व्याख्याताओं के लिए अच्छी खबर है। अब तक महज 120 रुपए प्रति लेक्चर के हिसाब से मिलने वाले उनके मानदेय में इजाफा किया जा सकता है।

राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि व्याख्याताओं की इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसे बढ़ाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इस मसले पर जल्द ही कोई ठोस फैसला लिया जा सकता है।

प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ा रहे करीब ढाई हजार अतिथि व्याख्याताओं की आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। वे एक दिन में 40 से 45 मिनट के अधिकतम 4 लेक्चर ही ले सकते हैं। ऐसे में उन्हें एक दिन में 480 रुपए मिल पाते हैं।


इस तरह एक माह की गणना की जाए,तो चार रविवारों को छोड़कर उन्हें महज 12 हजार रुपए का वेतन हाथ लगता है। यदि अन्य अवकाश या छात्रों की परीक्षा हो,तो वेतन और भी कम हो जाता है। सेमेस्टर सिस्टम में तो वे सालभर में महज 8 माह (इसमें भी कई अवकाश शामिल हैं) ही अध्ययन कार्य करवा पाते हैं। 

एक शासकीय कॉलेज में अतिथि व्याख्याता डॉ. सपना अग्रवाल बताती हैं कि उनकी स्थिति मजदूरों से भी बदतर है। पीएचडी करने के बाद उन्हें 8 हजार से अधिक वेतन नहीं मिल पा रहा है। शासन के पास शिक्षकों के कई पद खाली पड़े हैं,उन पर अतिथि व्याख्याताओं की इमरजेंसी नियुक्ति कर देनी चाहिए।

प्रदेश में करीब ढाई हजार अतिथि व्याख्याता हैं,जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। ये अतिथि व्याख्याता 1,700 सहायक प्रध्यापकों और 500 व्याख्याताओं के रिक्त पदों पर काम कर रहे हैं, लेकिन वेतन के नाम पर मजदूरी मिल रही है। शासन को जल्द ही निर्णय करना चाहिए-देवराज सिंह,अध्यक्ष,मप्र अतिथि विद्वान महासंघ

शासन,अतिथि व्याख्याताओं का मानदेय बदलने की दिशा में काम कर रहा है। विभाग भी समझता है कि वेतन आकर्षक नहीं है। इसे जल्द किया जाएगा-प्रभांशु कमल,प्रमुख सचिव,उच्च शिक्षा

अतिथि व्याख्याताओं का चयन तो यूजीसी के मापदंडों के आधार पर होता है,लेकिन वेतन बेहद कम मिलता है। यूजीसी की माने तो अतिथि व्याख्याता को एक लेक्चर का कम से कम 250 रुपए मिलने चाहिए,तब जाकर उन्हें सम्मानजनक वेतन मिल सकेगा।

वर्तमान स्थिति
अतिथि व्याख्याता
2500
एक दिन में लेक्चर
04
प्रति लेक्चर मानदेय
120 रुपए(दैनिक भास्कर,भोपाल,13.12.2010)

फर्जी कर्मचारियों की नौकरी हो गई पूरी, जांच अब भी अधूरी
फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी महकमे में बड़े-बड़े ओहदे पाने वाले सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन सालों से चल रही उनकी जाति की जांच अब भी अधूरी है। राज्य स्तरीय छानबीन समिति के पास ऐसे करीब 350 सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों के मामले हैं,जिन पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के आरोप हैं। 

ऐसे मामले भी कम नहीं है कि जिनमें छानबीन समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद भी मामले दर्ज नहीं हो रहे हैं। 

इनमें से कई मामलों की जांच शुरू हुए दस साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी पाने के करीब दर्जन भर आरोपी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने 8 सितंबर 1997 को आदेश जारी कर फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की जांच के लिए उच्च स्तरीय छानबीन समिति बनाई थी। इस समिति के अध्यक्ष आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव होते हैं। 

इसके अलावा चार अन्य आईएएस अधिकारी व अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य भी इस समिति में शामिल होते हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक हर तीन महीने में समिति की बैठक होनी जरूरी है, लेकिन बैठकें कई बार टल जाती हैं।

ये हो चुके हैं रिटायर

धरमचंद्र खांबरा,उप महाप्रबंधक भेल

बीएन खांबरा, इंजीनियर,मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल
प्रकाशचंद्र गोंडले,चीफ अकाउंट ऑफिसर, दूरसंचार विभाग

राजेंद्र सिंह गलगट,सेना में मेजर रह चुके

यह है जांच प्रक्रिया 

किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के फर्जी जाति प्रमाण पत्र की शिकायत मिलने के बाद समिति संबंधित जिले के पुलिस विभाग से उसके विषय में पूरी जानकारी जुटाती है। जिलों से प्रतिवेदन मिलने और समिति की बैठक होने के बीच लंबा वक्त गुजर जाता है। समिति प्रतिवेदन का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकालती है कि जाति प्रमाण पत्र फर्जी है या नहीं? इस पूरी प्रक्रिया में कई साल गुजर जाते हैं।

फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले भले ही सेवानिवृत्त हो जाएं, उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर रिकवरी की कार्रवाई करने की अनुशंसा भी आयोग द्वारा की गई है-रामलाल रोहतेल,अध्यक्ष,अनुसूचित जाति आयोग और सदस्य, राज्य स्तरीय छानबीन समिति

ञ्चछानबीन समिति की रिपोर्ट के विरुद्ध हममें से कुछ लोगों को स्टे मिल गया है। अदालत ने कहा है कि छानबीन समिति ने ठीक ढंग से जांच नहीं की-बीएन खांबरा,आरोपी व सेवानिवृत्त इंजीनियर 

छ: साल पहले मैंने शिकायत की थी। छानबीन समिति की रिपोर्ट तो मिल गई है, लेकिन आरोपियों के खिलाफ अब तक मामले दर्ज नहीं हो सके हैं-राजेंद्र कुमार,शिकायतकर्ता(योगेश पांडे,दैनिक भास्कर,भोपाल,13.12.2010)

एमपीपीएससी- बैलेंस रहे तीनों पेपर
एमपीपीएससी मेन्स में रविवार को तीन विषयों की परीक्षा दो सत्र में हुई। केमिस्ट्री, कॉमर्स और अकाउंटेंसी तीनों के पेपर स्टूडेंट्स को सामान्य लगे। जानकारों ने बताया 300 प्रश्न का प्रश्न पत्र पिछले सालों जैसा ही था। केमिस्ट्री और अकाउंटेंसी में थोड़ा जरूर समय कम मिला लेकिन ज्यादातर स्टूडेंट्स 200 से ज्यादा प्रश्न करने में सफल रहे। 

आयोग के सचिव निर्मल उपाध्याय ने बताया केमिस्ट्री में 16 और कॉमर्स व अकाउंटेंसी में 117 स्टूडेंट्स ने परीक्षा दी। सोमवार को बॉटनी, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल्स के पेपर होंगे। 

परीक्षा का सेंटर गवर्नमेंट ऑर्ट एंड कॉमर्स ही रहेगा(दैनिक भास्कर,इन्दौर,13.12.2010)।

सागर विश्वविद्यालयःरिजल्ट न आने से असमंजस में छात्र !
सागर यूनिवर्सिटी द्वारा कई सेमेस्टरों के परीक्षा परिणाम घोषित नहीं करने से अधिकांश कालेजों के छात्र-छात्राएं परेशान हैं। विवि द्वारा रिजल्ट घोषित नहीं करने के बावजूद अगली कक्षाओं के लिए परीक्षा फार्म भरने की अंतिम तारीख तय कर दी गई है। एटीकेटी के फार्म भी अभी ही भरवाए जा रहे हैं। इससे यूनिवर्सिटी से जुड़े एक सैकड़ा से अधिक कालेजों के हजारों छात्र-छात्राएं प्रभावित हो रहे हैं।

प्रदेश भर में सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के साथ ही डा. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी में भी इसे लागू कर दी गया, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद इसे संभालना मुश्किल हो रहा है। वर्तमान की स्थिति यह है कि यूनिवर्सिटी से संबद्घ सभी कालेजों में बीए, बीएससी और बीकाम के द्वितीय और चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं हो चुकी हैं। इसी तरह पोस्ट ग्रेजुएट कक्षाओं के द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाएं हो चुकी हैं, लेकिन इसके बाद से अब तक रिजल्ट की घोषणा नहीं हो सकी है। इसके साथ ही पिछली कक्षाओं में कम नंबर आने पर कई छात्र-छात्राओं ने रिटोटलिंग के लिए आवेदन किया था। इसका भी रिजल्ट नहीं आया है। तीन दिन पहले यूनिवर्सिटी द्वारा प्रथम, तृतीय और पंचम सेमेस्टर के लिए परीक्षा फार्म भरवाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए 15 दिसंबर अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। 

रिजल्ट घोषित नहीं होने से अब छात्र-छात्राएं असमंजस की स्थिति में है कि वे अगली कक्षा के लिए परीक्षा का फार्म भरें या फिर नहीं। यही हाल एटीकेटी के लिए है। जिन छात्र-छात्राओं के एक-दो नंबर कम थे, उन्होंने नियम के अनुसार रिटोटलिंग के लिए आवेदन किया है, लेकिन इसका रिजल्ट भी घोषित नहीं हुआ है। इससे उनके सामने असमंजस है कि यदि रिटोटलिंग में नंबर बढ़ गए तो फिर एटीकेटी फार्म की फीस बर्बाद हो जाएगी और यदि फार्म नहीं भरा तो फेल होने की भी आशंका है(दैनिक भास्कर,सागर,13.12.2010)।

वरिष्ठता सूची से अध्यापक नाराज
शिक्षा विभाग व ट्राइबल विभाग की अध्यापकों की वरिष्ठïता सूची में कई तरह की खामियां हैं। रविवार को राज्य अध्यापक संघ की कर्मचारी भवन में हुई बैठक में यह मुद्दा छाया रहा। अध्यक्ष राजू पवार व भीम धोटे ने इस संबंध में अध्यापकों से चर्चा की। अध्यापकों ने सूची को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वरिष्ठïता सूची में कई लोगों के नाम छोड़ दिए हैं। इसके अलावा नियुक्ति की दिनांक भी गलत दर्शाई है। इस पर श्री पवार ने अध्यापकों से समस्त दावे आपत्तियां सोमवार को जिला पंचायत सीईओ के सामने पेश करने के लिए कहा। बैठक में ब्लाकों अध्यापक व सहायक अध्यापक मौजूद थे। गौरतलब है कि विभाग ने दावे आपत्तियां बीईओ को सौंपे जाने के निर्देश दिए थे(दैनिक भास्कर,बैतूल,13.12.2010)।

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