इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सरकार के लगातार बढ़ रहे निवेश को देखते हुए स्टील क्षेत्र में सेक्रेडरी प्रोड्यूसर के लिए कारोबार के बेहतर अवसर है। इसके तहत री-रोलिंग मिल में निवेश करना एक बेहतर मौका हो सकता है। जिसके जरिए फोर्जिंग, हैमर और इंजीनियरिंग उद्योग के लिए उत्पाद बनाने के साथ-साथ टीएमटी सरिया बना सकते हैं। देश में इस समय सेकेंड्री प्रोड्यूसर स्टील की कुल खपत का कराब 60 फीसदी मांग पूरा करते हैं।
री-रोलिंग मिल के जरिए उत्पाद बनाने के लिए इंगट और बिलेट के रूप में कच्चे माल की जरुरत होती है। जो कि स्क्रैप और स्पंज आयरन के जरिए बनाया जाता है। टीएमटी बार बनाने और दूसरे डिजाइन वाले उत्पाद बनाने के लिए स्टील मेल्टिंग इकाई की जरुरत होती है।
जिसमें प्रमुख रूप से इंडक्शन फर्नेस, कास्टिंग के लिए डाईज, कटिंग मशीन, ईओटी क्रेन, एअर कंप्रेशर जैसे उपकरणों की प्रमुख रूप से जरुरत होती है।
री-रोलिंग मिल के लिए दो से तीन करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होती है। जिसके तहत करीब एक एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ती है। इस निवेश के जरिए 25 टन प्रतिदिन स्टील का उत्पादन किया जा सकता है। यह इकाई शुरूआत में 80 फीसदी तक अपनी उत्पादन क्षमता का उपयोग कर सकती है जिसे हर साल पांच फीसदी की दर से बढ़ाया जा सकता है।
मुकेश स्टील के डायरेक्टर दीपक गुप्ता के अनुसार कंपनी इंडस्ट्रियल उत्पाद बनाती है। जिसके तहत वह हैमर, फोर्जिंग और दूसरे उद्योगों के लिए उत्पाद बनाते हैं। री-रोलिंग के लगाने के लिए देश के सभी प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में अवसर है। इस समय री-रोलिंग मिल इकाइयां जालंधर,लु्धियाना, मंडीगोबिंद गढ़, हरियाणा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, रायपुर जैसे क्षेत्रों में प्रमुख रूप से स्थित है। इन क्षेत्रों के अलावा भी कारोबारी ऑटो मोबाइल क्लस्टर, इंजिनियरिंग उत्पादों के क्लस्टर जैसे क्षेत्रों में भी निवेश कर सकते हैं। कारोबारी इन इंडस्ट्री के जरूरत के मुताबिक खास उत्पाद बनाकर भी अपनी विशेषज्ञता विकसित कर सकते हैं। जिसके जरिए घरेलू बाजार के साथ-साथ विदेशी बाजार में भी निर्यात कर अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं।
मांग - इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के तेज विकास से बहुत ज्यादा बढ़ रही है री-रोलिंग उत्पादों की मांग
निवेश - री-रोलिंग इकाई लगाने में आम तौर पर दो से तीन करोड़ रुपये का होता है शुरुआती निवेश
अवसर - खास तौर पर कलस्टर एरिया में री-रोलिंग मिल लगाने से कारोबार बढ़ाने में मिलेगी मदद(बिजनेस भास्कर,दिल्ली,2.12.2010)
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