इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है। विवि के अनुसंधान विभाग से लेकर निर्माण कराने वाले एसपीपी कार्यालय (अधीक्षक भौतिक संयंत्र) में साढ़े तीन करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है।
राज्य सरकार के कोष लेखा एवं पेंशन संचालनालय की विशेष जांच टीम ने इसका खुलासा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विवि प्रशासन ने नियमों को ताक में रखकर वित्तीय अनियमितता बरती है। इसमें अफसरों के नाम चेक काट दिए और दुकानदार को नगद भुगतान दर्शाया गया है।
ये मामले वित्तीय वर्ष 2009-10 के हैं। राज्य शासन से नियुक्त लेखा नियंत्रक धर्मेश कुमार की छापामार कार्रवाई के बाद राजभवन में वित्तीय अनियमितता की शिकायत हुई। इसके बाद वित्त विभाग ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई। इसमें कोष लेखा एवं पेंशन विभाग के अपर संचालक ए एक्का को जांच दल का प्रमुख बनाया गया।
इस अनियमितता पर दैनिक भास्कर ने मई के अंक में खबर प्रकाशित की थी। जांच प्रतिवेदन की प्रति दैनिक भास्कर के हाथ लगी है। इसमें बताया गया है कि कुलपति डा. एमपी पांडे, कुलसचिव एसआर रात्रे, लेखा नियंत्रक रीता मैनी, प्रभारी लेखा नियंत्रक डा. आरआर सक्सेना, लेखा नियंत्रक धर्मेद्र कुमार और प्रभारी लेखा नियंत्रक डा. जेएस उरकुरकर के कार्यकाल में हुए। विवि के अधिकांश यूनिटों में मार्च के एकाउंट मई-जून में क्लोज किया गया। जांच दल ने इसे असामान्य विलंब माना है। जांच दल ने कहा है कि विवि की क्रय समिति की बैठक में लेखा नियंत्रक को रखना अनिवार्य है, लेकिन उन्हें सदस्य नहीं बनाया गया।
वित्त विभाग के माध्यम से कृषि विभाग ने कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, लेकिन वे अपना जवाब नहीं दे रहे। उन्हें फिर से रिमाइंडर भेजा गया है-एसआर रात्रे, कुलसचिव कृषि विवि(गोविंद पटेल,दैनिक भास्कर,रायपुर,5.12.2010)।
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