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10 दिसंबर 2010

भोपाल का नूतन कॉलेजःस्टडी लेवल जरूरी या ड्रेसकोड?

अंग्रेजों ने फौज में अनुशासन रखने के लिए ड्रेस कोड का इस्तेमाल किया था, लेकिन यह एक कॉलेज है फौज नहीं। कुछ इसी तर की प्रतिक्रियाएं रहीं नूतन कॉलेज में ड्रेस कोड लागू करने के मामले में शिक्षा से जुड़े लोगों की।

प्रदेश के दोनों महत्वपूर्ण छात्र संगठनों ने भी इसका विरोध किया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का तर्क है कि कोई भी निर्णय किसी पर थोपा नहीं जा सकता,वहीं भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन की राय है कि स्कूल की तरह कॉलेज के नियम नहीं होना चाहिए।

गौरतलब है कि बुधवार को कॉलेज प्रबंधन ने शिक्षक वर्ग के लिए ड्रेस कोड लागू करते हुए जींस को न कह दिया है। अब शिक्षिकाएं साड़ी और शिक्षक सामान्य पेंट-शर्ट पहनेंगे।

पूरे मामले को दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया। गुरुवार को भास्कर ने शिक्षा जगत से जुड़ी शख्सियतों से इस संबंध में उनका मत जाना।

फौज का हिस्सा नहीं
शिक्षा के किसी शास्त्र या ग्रंथ में नहीं लिखा कि छात्र और शिक्षक को ड्रेस में आना चाहिए। कॉलेज प्रबंधन को अध्ययन और शोध की तरफ ध्यान देना चाहिए, न कि कपड़ों की तरफ।


भारतीय संस्कृति की झूठी बात करने वाले ड्रेस कोड की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं। ड्रेस कोड किसी शैक्षणिक संस्थान को अलग पहचान देने तक ठीक है, लेकिन ये सीधे तौर पर स्वतंत्रता पर पाबंदी है-रमेश दवे,शिक्षाविद्


गरिमा के लिए जरूरी
इसे कॉलेज के लिए गरिमापूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। कई बार देखा गया कि छात्राएं अजीब से कपड़े पहनकर आ जाती हैं। मेरे कार्यकाल में इसकी जरूरत नहीं थी, लेकिन अब समय बदल गया है। शिक्षकों के लिए यह इसलिए जरूरी है कि वे छात्रों के लिए रोल मॉडल का काम करते हैं-डॉ.शशि राय,पूर्व प्राचार्य नूतन कॉलेज

कॉलेज है गुरुकुल नहीं
कोई शख्स तब तक अपने हिसाब से पहन-ओढ़ सकता है, जब तक किसी ओर की स्वतंत्रता का हनन नहीं होता। मेरी समझ से मनमर्जी के कपड़े पहनने से किसी की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होती। आज के इस दौर में गुरुकुल की परंपरा का निर्वहन व्यर्थ है। न ही नूतन कॉलेज गुरुकुल है-प्रो.उदय जैन,पूर्व कुलपति,एपीएस विवि

छात्राएं तो विरोध करती हैं
ड्रेस कोड को लेकर छात्राओं ने कई बार विमर्श किया। सभी छात्राएं इसका विरोध करती हैं। हम स्कूली छात्र नहीं हैं जो ड्रेस पहनकर आएं। हम सारी छात्राएं मिलकर इस मामले में बात करेंगी। जो भी निर्णय होगा, उसे कॉलेज प्रबंधन के समक्ष रखा जाएगा-आकांक्षा,छात्रा,नूतन कॉलेज


छात्राओं से पूछा क्या?
नूतन कॉलेज में पढ़ रही सभी छात्राएं वयस्क हैं। ऐसे में प्राचार्य या जनभागीदारी समिति की अध्यक्ष को किसी भी तरह के निर्णय लेने के पहले छात्राओं से पूछना चाहिए कि उनकी इच्छा क्या है। छात्राएं स्वयं निर्णय लेने में सक्षम हैं। भारतीय परिधान से परहेज नहीं है, लेकिन शिक्षकों पर भी आदेश थोपे नहीं जा सकते-भारती कुम्भारे,प्रदेशमंत्री,अभाविप

थोपा गया निर्णय
हम ड्रेस कोड का विरोध करते हैं। ड्रेस स्कूल तक ठीक रहती है। किसी भी छात्र या शिक्षक को कौन से कपड़े पहनने हैं,कॉलेज प्रबंधन को इसमें हस्तक्षेप तो नहीं करना चाहिए। सभी वयस्क हैं,अपने निर्णय स्वयं ले सकते हैं। ड्रेस कोड तो थोपा हुआ निर्णय है-उभयकुशल तिवारी,छात्र नेता,भाराछासं

सीधी-बात
यह फैसला लेने की जरुरत क्यों, मकसद क्या ? जवाब : भारतीय परिधान पहनने में कोई बुराई नहीं। वैसे भी शिक्षिकाओं और छात्राओं में अंतर दिखाई देना जरूरी है। इससे अनुशासन बना रहता है। किसी तरह का विरोध सामने आया? जवाब : निर्णय सामान्य परिषद, प्रबंध समिति और जनभागीदारी समिति का है। इसमें सभी क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं। दबा-छिपा विरोध तो सभी करते हैं। पालन न होने पर कार्रवाई होगी? जवाब : इस तरह का कोई निर्णय अभी नहीं लिया है। छात्राओं के लिए भी ड्रेस कोड लागू होगा? जवाब : अगले सत्र से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। छात्राओं से भी उनकी राय जानेंगे-डॉ.शोभना वाजपेयी मारू,प्राचार्य,नूतन कॉलेज
(दैनिक भास्कर,भोपाल,10.12.2010)

2 टिप्‍पणियां:

  1. ड्रेस कोड लागू होना चाहिये। इसके फायदे अधिक हैं नुकसान कुछ नही। अनुशासन स्कूल या कालेज की पहली शर्त होना चाहिये अगर उद्देश्य केवल पढना है नही तो मौज मस्ती के और भी कई मन्च हैं। धन्यवाद।

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