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21 दिसंबर 2010

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से कृषि में बनाएं कमाई के रास्ते

आवेदन की अंतिम तारीख 31 दिसंबर

खेत-खलिहान से जुड़े युवा अगर अपनी दुनिया में कमाई के रास्ते ढूंढ़ना चाहते हैं तो इसके लिए प्रशिक्षण जरूरी है। ऐसे युवाओं के लिए नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ ओपन स्कूलिंग ने अपने यहां अलग तरह के कोर्स शुरू किए हैं। इनमें कुछ कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए हैं तो कुछ मैट्रिक पास युवाओं के लिए। ये कोर्स रोजगार के बाजार में अच्छी-खासी कमाई का साधन मुहैया करा सकते हैं। इनमें थ्योरी और व्यावहारिक ज्ञान से परिचय कराकर संस्थान रोजगार की नई राह दिखाता है। इन कोर्सों में दाखिले की प्रक्रिया जारी है।

मुर्गी पालन
कृषि या खेतीबाड़ी की दुनिया से जुड़े इन कोर्सेज में पहला मुर्गी पालन उद्योग है। आज देश-दुनिया में अंडे की खपत और उसके लिए मुर्गी का पालन किस तरीके से कैसे करना है, इसका ज्ञान कराया जाता है। दसवीं पास छात्रों के लिए चलाए गये इस कोर्स में छात्रों को भारत में मुर्गी पालन उद्योग की रूपरेखा के बारे में बताया जाता है। इसकी सच्चाइयों से रूबरू कराया जाता है और इस उद्योग में कमाई की संभावनाएं कितनी है, यह बताया जाता है। मुर्गी पालन के लिए आवश्यक स्किल भी प्रदान की जाती है। कोर्स में 60 फीसदी थ्योरी और 40 प्रतिशत प्रैक्टिकल कराया जाता है।

मृदा और खाद्य प्रबंधन
मृदा और खाद्य प्रबंधन का भी कोर्स एक महत्त्वपूर्ण उद्योग में काम की राह दिखाता है। कृषि के लिए मिट्टी का रोल अहम होता है। किस तरह की मिट्टी में कौन सी फसल उगाई जाती है, ऐसी मिट्टी बनाने की प्रक्रिया क्या है, इसमें पौधे का संरक्षण और विकास किस रूप में होता है, इसकी जानकारी बखूबी दी जाती है। उसमें इस्तेमाल में लाई जाने वाली खाद के बारे में भी बताया जाता है। यहां भी दसवीं पास छात्रों को एक साल के अंदर इस कला में दक्ष बनाया जाता है। मिट्टी के अलग-अलग रूपों और समस्याओं के बारे में बताया जाता है।

वर्मी कम्पोस्टिंग
वर्मीकम्पोस्टिंग का कोर्स छात्रों को जैविक खाद बनाने की कला सिखाता है। आज इस तरह की खाद शहरों में पौधों और साग-सब्जी उगाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। आठवीं पास छात्रों के लिए शुरू किया गया यह कोर्स छात्रों को वर्मीकम्पोस्टिंग के तौर-तरीके से अवगत कराता है, इसे तैयार करने का प्रशिक्षण देता है।

मधुमक्खी पालन

उपरोक्त के अलावा मधुमक्खी पालन का कोर्स है। शहद उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए मधुमक्खी पालन उद्योग को कैसे बढ़ावा देना है, यह हुनर छात्रों को क्लास रूम और उससे बाहर भी सिखाया जाता है।


कोर्स की फीस
मृदा और खाद प्रबंधन तथा मुर्गी पालन से जुड़े कोर्स की फीस 700 रुपये है। इसके अलावा अन्य दो कोर्स वर्मीकम्पोस्टिंग और मधुमक्खी पालन की 800 और क्रमश: 400 रुपये है।

कक्षाएं कहां
इन कोर्सेज की कक्षाएं एनआईओएस से संबद्ध संस्थानों में कराई जाएगी। संस्थान की लिस्ट एनआईओएस की वेबसाइट पर दे दी गई है। ये सेंटर देश के अलग-अलग शहरों में है। छात्र को अपनी सुविधा और दूरी के हिसाब से इसे चुनना होगा(प्रियंका कुमारी,हिंदुस्तान,दिल्ली,21.12.2010)।

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