प्रदेश के पहले राजकीय मेडिकल कॉलेज का कार्य सुचारु रूप से संचालित करने के लिए प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग ने प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग (पीएमएस) के 15 वरिष्ठ डाक्टरों को मेडिकल कालेज से सम्बद्ध किया हुआ है। 9-10 सालों से अधिक की अपनी सेवा अवधि वाले इन वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा पिछले चार सालों से मेडिकल कॉलेज और बेस चिकित्सालय में चिकित्सा सेवा का कार्य किया जा रहा है। पीएमएस संवर्ग के इन डाक्टरों में अधिकांश डाक्टर पिछले सात-आठ सालों से बेस चिकित्सालय में चिकित्सा कार्य का जिम्मा भी बतौर विशेषज्ञ डाक्टर संभाले हुए हैं।
मेडिकल कॉलेज में यह डाक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का भी दायित्व संभाले हुए हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज सेवा संवर्ग के असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों की तुलना में उनका वेतन काफी कम है। उनके द्वारा कार्य दुगने से भी अधिक किया जा रहा है। पोस्टमार्टम ड्यूटी के साथ ही इमरजेंसी ड्यूटी भी पीएमएस संवर्ग के इन वरिष्ठ डाक्टरों द्वारा की जाती है। मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन 82 हजार और एसोसिएट प्रोफेसर का वेतन 99 हजार रुपये प्रतिमाह है। उसी मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत कार्य कर रहे इन डॉक्टरों को पीएमएस संवर्ग का ही वेतन मिल रहा है, जो लगभग 30 से 45 हजार तक ही होता है। सीनियर रेजीडेंट को भी 58 हजार प्रतिमाह मिलने से पीएमएस संवर्ग के यह डाक्टर क्षोभभरी उदासी में भी रहते हैं। वेतन में इस भारी अंतर से इन डाक्टरों में हताशा और आक्रोश भी देखा जा रहा है। पिछले दिनों श्रीनगर आए प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री बलवंत सिंह भौंर्याल ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में है। पीएमएस संवर्ग के इन डाक्टरों द्वारा इमरजेंसी, सर्जरी, डेंटल और ईएनटी का जिम्मा भी बखूबी संभाला हुआ है। मेडिकल कालेज प्रशासन की भी संस्तुति है कि पीएमएस संवर्ग के इन 15 डाक्टरों को ऑन डेपुटेशन मेडिकल कालेज सेवा संवर्ग में दे दिया जाय।
मामला शासन को प्रेषित
मेडिकल कालेज से सम्बद्ध किए पीएमएस संवर्ग के डाक्टरों के वेतन और सीनियरिटी का मामला प्रदेश शासन को प्रेषित किया गया है। शासन स्तर पर ही इस पर निर्णय होना है-प्रो. एसएस मिश्रा, प्राचार्य(दैनिक जागरण,श्रीनगर गढ़वाल,25.12.2010)
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