भारतीय ऑटो इंडस्ट्रीज से अलग ऑटो कलपुर्जों का बाजार गर्म हो चला है। मैक्केंजी एंड कॉर्पोरेशन द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, २०१५ तक ऑटो कलपुर्जों का बाजार ३९,००० से ४४,००० करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा जो फिलहाल २४,००० करोड़ रुपए का है। वहीं, इस बढ़ते कारोबार के लिए कुशल लोगों की जरूरत पड़ने वाली है। वहीं औद्योगिक प्रतिनिधियों ने ऑटो उपकरण सेक्टर के लिए नौकरियों और कारोबार का आधार बनाना शुरू कर दिया है। मैक्केंजी एंड कॉर्प और सीआईआई द्वारा बनाई गई "भारतीय वाहन बाजार में अवसर" शीर्ष पर जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में ऑटोमोटिव सेक्टर ११ फीसदी प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है। ऑटोमोटिव सेक्टर एक ऐसे मोड़ पर आ गया है जहां वाहन कलपुर्जों में बढ़ोतरी, ज्यादा जटिल उपकरण, कीमत संबंधित संवेदनशील ग्राहक और भारत में वितरण और आउटसोर्सिंग संदर्भ में वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं का विस्तार दर्ज किया जा रहा है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आगामी पांच सालों में मोटर उपकरण और सेवाओं की मांग दोगुनी से भी अधिक हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों को अपनी क्षमता दोगुनी करने के लिए अतिरिक्त निवेश की जरूरत महसूस हो रही है। साथ ही वाहनों के जटिल उपकरण और सेवाओं को विस्तार करने के लिए कुशल कर्मचारियों की संख्या में इजाफा करने पर विचार तेजी से चल रहा है जिसकी घोषणाएं कंपनियां लगातार कर भी रही हैं। बाजार के बाद ऑटोमोटिव कारोबारियों के लिए बाजार में ढ़ेरों अवसर मौजूद हैं। इस बात की ओर भी संकेत है कि बाजार के परिपक्व होने पर कंपनियों का मार्जिन नीचे आ सकता है। साथ ऑटोमोटिव कारोबारी कुछ कदम उठा रहे हैं जैसे मूल्यों पर कब्जा करने के लिए अतिरिक्त साधनों का मूल्यांकन करना, सर्विस नेटवर्क का विस्तार, ब्रांडेड जेनेरिक उपकरण विकसित करना आदि। मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के लिए बाजार काफी फायदेमंद है और उनके पास बाजार में विस्तार करने के लिए भरपूर संभावनाएं हैं। एक अनुमान के मुताबिक, ओईएम के कुल कारोबार में बाजार के बाद की कुल हिस्सेदारी २४ फीसदी है, जबकि मुनाफे में इसका योगदान ५५ फीसदी है। तेजी से बढ़ रहे स्वतंत्र बाजार में ओईएम और आपूर्तिकर्ता ब्रांडेड जेनेरिक उपकरणों के निर्माण पर लागत पर कब्जा करने का फायदा भी उठा रहे हैं, जिसका कुल बाजार ३,००० से ४००० करोड़ रुपए का है। रिपोर्ट में मुताबिक, बाजार में ३० फीसदी माल नकली उपकरणों का रहता है। नकली उपकरण बाजारों का हिस्सा निकालने के बाद कुल मैन्युफैक्चरिंग कारोबार १०,५०० करोड़ का है। इस आंकड़े में ओईएम का हिस्सा ३९ फीसदी, ओईएस का हिस्सा ३४ फीसदी और जेनेरिक निर्माताओं का हिस्सा २७ फीसदी है। लिहाजा इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि जेनेरिक ब्रांडेड उपकरणों का बाजार भी लोगों के लिए नए रोजगार पैदा कर रहा है। वितरकों जिनका कुल मार्जिन करीब १५ फीसदी रहता है उनका मुनाफा करीब २,५०० करोड़ रुपए है। भारतीय कार बाजार करीब ६,००० से ७,००० करोड़ रुपए का है जोकि कुल वाहन बाजार का ३४ फीसदी है
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान और ज्यादा इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट को अपनाने का फैसला लिया है ताकि वह अपने उत्पादन लक्ष्य को हासिल कर सके। मारुति सुजूकी के कार्यकारी प्रबंधक एस. वाई. सिद्दीकी ने बताया कि फिलहाल कंपनी देशभर में १७ आईटीआई का परिचालन कर रही है जिन्हें वित्त वर्ष २०१०-११ में बढ़ाकर ५३ करने की योजना है। उन्होंने कहा कि अब तक५०० उम्मीदवारों को कंपनी में शामिल किया है।
कंपनी आगामी महीनों के दौरान ५०० से ६०० अतिरिक्त आईटीआई विद्यार्थियों को शामिल करने की योजना बना रही है। नए आईटीआई गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, केरल, बिहार और राजस्थान में बनाए जाने की योजना है। सिद्दीकी ने बताया कि कंपनी देश भर में अतिरिक्त ४,००० प्रशिक्षित कर्मचारियों को जोड़ने की योजना बना रही है। इसमें से १,६०० कर्मचारियों को ऑटोमोबाइल उद्योग में लिए जाने की योजना है(आशुतोष वर्मा,नई दुनिया,दिल्ली,29.11.2010)
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