दिल्ली में टेंटों की छाया में पढ़ाई को मजबूर नौनिहालों को जल्द ही दिल्ली नगर निगम पोर्टा केबिन उपलब्ध कराएगा। वित्तीय संकट का रोना रो रहे दिल्ली नगर निगम के शिक्षा विभाग की मानें तो यह योजना इसी महीने शुरू की जा सकती है, लेकिन वित्तीय संकट की वजह से इसे पूरा होने में वक्त लगने की आशंका भी जताई जा रही है।
निगम में सदन के नेता सुभाष आर्य के मुताबिक फिलहाल कई इलाकों में 48 टेंटों में विद्यालय चल रहे हैं। इनमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं। सिर्फ निर्माण विहार इलाके में स्कूल भवन का निर्माण नहीं किया गया है, जबकि शेष 42 स्थानों पर भवन का पुनर्निर्माण कार्य चलने की वजह से बच्चों को टेंटों में पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा निगम के पांच स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने की वजह से टेंट की व्यवस्था की गई है।
खास बात यह है कि निगम के इंजीनियरिंग, विद्युत विभाग सहित कई विभागों में आपसी तालमेल की कमी की वजह से यह समस्या देखने को मिल रही है। इन 42 स्थानों पर इंजीनियरिंग विभाग पिछले कई वर्षों से भवन का निर्माण कर रहा है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस विभाग की लापरवाही की वजह से ये निर्माण कार्य अभी तक पूरे नहीं किए गए। सर्दियों के मौसम में ये बच्चे ठंड की वजह से ठिठुरने लगते हैं और बारिश के दौरान तो इन बच्चों का बुरा हाल हो जाता है। अत: इस समस्या से निजात पाने के लिए निगम ने पोर्टा केबिन योजना को लागू करने पर विचार कर रहा है। निगम में शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नागपाल के मुताबिक एक पोर्टा केबिन पर लगभग डेढ़ लाख रुपए की लागत आएगी। जबकि एक कमरे के निर्माण पर छह लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा, लेकिन दिल्ली सरकार से बजट न मिलने की वजह से शिक्षा विभाग की कई परियोजनाएं लेटलतीफी की शिकार हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल अभी तक मात्र 96 करोड़ रुपए मिले हैं, जबकि शिक्षा विभाग को अब तक 192 करोड़ रुपए मिलने थे। इस बाबत शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और उपराज्यपाल तेजेन्द्र खन्ना को पत्र लिखा है। ज्ञात हो कि निगम के 1746 विद्यालयों में 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों में लगभग 22 हजार शिक्षक कार्यरत हैं(बलिराम सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,3.12.2010)।
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