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03 दिसंबर 2010

हिमाचलःबच्चे पढ़ेंगे महानायकों की कहानियाँ

जंग ए आजादी और कारगिल युद्ध के हीरो रहे हिमाचली रणबांकुरे और महानायक किताबों में फिर से जिंदा होंगे। प्रदेश के स्कूलों में छठी से आठवीं तक की किताबों में इन महानायकों का इतिहास पढ़ाया जाएगा। योग एवं हिमाचली संस्कृति के तहत तैयार हो रही पाठ्य पुस्तकों में इनके बारे में नए अध्याय जुड़ेंगे। योजना का खाका तैयार हो चुका है।

छठी से आठवीं तक के छात्र 1857 से 1971 तक हिमाचली वीर पुरुषों से जुड़े रोचक किस्से जान पाएंगे। इस बारे में सर्वशिक्षा अभियान की राज्य स्तरीय कार्यशाला भी हो चुकी है। ये अध्याय लिखने का काम शिक्षाविद् डॉ. स्नेहलता की अगुवाई मंे एक टीम करेगी।

इन पुस्तकों की खासियत यह होगी कि सारे पाठ बाल मनोविज्ञान के आधार पर लिखे गए हैं। इनमें वार्ता, भ्रमण वृतांत या नाटक के रूप में रचना की गई है। सीधे रूप से इतिहास अकसर छात्रों को समझ नहीं आ पाता। इसलिए रोचक प्रसंगों और नाटकों के जरिये से सरल बनाया गया है।

हिमाचली संदर्भ में देशभक्ति काजज्बा उभारने के लिए कई रोचक नाटक भी लिखे गए हैं। इन पाठ्य पुस्तकों को प्रदेश मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी हैं। आगामी शिक्षा सत्र से ये नौनिहालों को मिलना शुरू हो जाएंगी। लेखन कार्य में डॉ. हिमेंद्र बाली, डॉ. बलजीत कुमार, दलीप वर्मा, चंद्रमोहन, वीरेंद्र, विजय कुमार, विजय कंवर, विमला शर्मा, राजकुमार शामिल हैं।


कारगिल में शहीद हुए वीर हिमाचली रणबांकुरों की गाथा छठी की पुस्तक में डाली गई है, जबकि 1857 और 1919 तक के प्रदेश के इतिहास से जुड़ी जानकारियां सातवीं की पुस्तक में रखी गई हैं। वहीं 1920 से 1971 तक के इतिहास की जानकारियां आठवीं कक्षा की पुस्तक में जोड़ी गई हैं। 

योग एवं हिमाचली संस्कृति की पाठ्य पुस्तकों में इसे शामिल किया जाएगा। अगले सत्र से ये किताबें बांटी जाएंगी। -विजय हीर, सदस्य, सर्वशिक्षा अभियान राज्य स्रोत कमेटी(दैनिक भास्कर,शिमला-हमीरपुर,3.12.2010)

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