जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर से आंदोलित हो गया है। छात्र संगठनों का कहना है कि कैंपस में ओबीसी आरक्षण को सही तरीके से लागू करने में प्रशासन आनाकानी कर रहा है। यहां अदालत के हस्तक्षेप के बाद तीन छात्रों को तो दाखिला दिया लेकिन अन्य बहुत सारे छात्रों के लिए दरवाजा बंद कर रखा है। छात्र नेताओं का आरोप है कि प्रशासन इसको लेकर अदालत में बार बार मुकदमा लड़कर सार्वजनिक पैसे का दुरूपयोग कर रहा है।
कैंपस में मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में छात्र संगठन आइसा, डीएसयू, पीएसयू, एसएफआई, यूडीएसएफ और एआइबीएसएफ के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। सभी ने विश्वविद्यालय में पिछले तीन साल से ओबीसी कोटा को सही तरीके से नहीं लागू करने पर प्रशासन को आड़े हाथों लिया।
आइसा की पदाधिकारी सुचेता ने बताया कि ओबीसी वर्ग के तीन छात्र मनमाने तरीके से तैयार किए गये दाखिले क्राइटेरिया पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अदालत के निर्देश के बाद इन छात्रों को दाखिला मिला है। इस वर्ग के अन्य बहुत सारे छात्र अब भी दाखिला से वंचित हैं।
छात्रों के मुताबिक प्रशासन ने अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर इसमें छूट लेनी चाही लेकिन इसे पिछले सप्ताह खारिज कर दिया गया। सुचेता ने बताया कि इस मामले में अधिकारियों ने संबंधित कमेटी से भी संपर्क नहीं किया है और मनमाने तरीके से मुकदमा में विश्वविद्यालय का पैसा बहा रहे हैं।
आरक्षण के खिलाफ अदालत में जाना और सीटें भरने में आनाकानी करने के कारण इस संस्थान की छवि आरक्षण विरोधी बन रहीहै। यह सहीं नहीं है। अधिकारियों के इस रवैये के खिलाफ अगले सप्ताह छात्र संगठन कैंपस में आंदोलन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे उचित दाखिला प्रक्रिया अपनाकर ओबीसी छात्रों को दाखिला नहीं देते तो उनके खिलाफ कैंपस में मोर्चा खोला जाएगा। विश्वविद्यालय में दूसरे सेमेस्टर में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके मद्देनजर छात्र संगठन प्रशासन पर आरक्षण को अमलीजामा पहनाने के लिए दबाव बनाएंगे(नई दुनिया,दिल्ली,29.12.2010)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।