ऐसे लोगों की तादाद ढे रों हैं जिन्हें चुनावी मौसम में नेता बनने का शौक उमड़ पड़ता है । चुनाव में जीत-हार से बेफिक्र इनकी लालसा बस इतनी होती है कि एक बार भाग्य आजमाया जाए। पंचायत चुनाव की सुगबुगाह शुरू हुई तो एक बार फिर कई लोगों में नेता बनने की इच्छा जाग उठी है। ऐसे लोग हर तरह से जानकारियां जुटा रहे हैं । पंचायत चुनाव में मुखिया का चुनाव लड़ने से जुड़ी जानकारियां इकठ्ठा की जा रही हैं। लाभ के पद को लेकर भी जिज्ञासा है । वैसे राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के अनुसार लाभ के पद को लेकर बिहार राज्य पंचायत राज अधिनियम में विस्तार से जानकारी दी गई है। वैसे लोग लाभ के पद के दायरे में हैं जो केन्द्र या राज्य सरकार अथवा किसी स्थानीय प्राधिकार की सेवा में हों। वैसे लोग जो केन्द्र या राज्य सरकार या फिर कि सी स्थानीय प्राधिकार से सहायता प्राप्त क रने वाली संस्था की सेवा में हों। इसके अलावा वे भी लाभ के पद के दायरे में होंगे जो किसी पंचायत के अधीन वैतनिक पद या लाभ के पद पर हों। आयोग के अधिकारियों की मानें तो पंचायत शिक्षामित्र, विकासमित्र और न्यायमित्र भी इस दायरे में ही आते हैं । मुखिया का चुनाव लड़ने के लिए उन्हें पद से इस्तीफा देना होगा। आयोग के अनुसार जिन लोगों को मानदेय के रू प में प्रतिमाह सरकार से एक निश्चित राशि मिलती है वे अगर पंचायत के पदों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं तो इस्तीफा देना होगा। ऐसा नहीं क रने पर नामांकन के समय उनका नामांकन पत्र रद्द हो सकता है ।
कौन-कौन नहीं लड़ सकते पंचायत चुनाव
आंगनबाड़ी सेविका विशेष शिक्षा परियोजना/साक्षरता अभियान/विशेष शिक्षा केन्द्रों में मानदेय पर कार्यरत अनुदेशक पंचायत के अधीन मानदेय पर कार्यरत पंचायत शिक्षामित्र या अन्य क र्मी पंचायत के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत दलपति केन्द्र या राज्य सरकार या कि सी स्थानीय प्राधिकार से पूर्णत: या आंशिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यरत, पदस्थापित, प्रतिनियुक्त पदाधिकारी, शिक्षक, प्रोफेसर, शिक्षके तर कर्मचारी आदि कार्यरत होमगार्ड कौन लड़ सकते हैं रिटायर्ड सरकारी सेवक जविप्र के लाइसेंसधारी विक्रेता कमीशन एजेंट वैसे होमगार्ड जो काम नहीं कर रहे हैं। (हिंदुस्तान,पटना,24.12.2010)
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