मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

24 दिसंबर 2010

बिहारःलेक्चरर की बहाली में फिर फंसेगा पेच

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के सृजित पदों के विरु द्ध आधी सीटें खाली हैं, जिससे कक्षाएं किसी तरह चलायी जा रही हैं । कई विश्वविद्यालयों में एक -डेढ़ दर्जन विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं । लेकिन लेक्चररों की बहाली को लेकर फिलहाल कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है । 2003 के बाद लेक्चरर के रूप में विश्वविद्यालयों में योगदान करने को लालायित युवकों को उम्मीद थी कि नई सरकार के आने के बाद विश्वविद्यालय शिक्षकों की बहाली को लेक र कोई सुगबुगाहट होगी। पर जो ताजा स्थिति बन रही है उसमें सरकार और राजभवन की राय जुदा हैं । दोनों अलग-अलग दिशाओं में सोच रहे हैं । आठ दिन पहले राजभवन में हु ई कुलपतियों की बैठ क में कुलाधिपति देबानंद कुंवर ने व्याख्याताओं की बहाली के नए फार्मूले की घोषणा की। इसके मुताबिक अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा ली जाएगी। उन्हें एकेडमिक कैरियर पर 30 फीसदी, लिखित परीक्षा पर 30 फीसदी, मौखिक परीक्षा पर 20 और पढ़ाने की क्षमता पर 20 फीसदी अंक दिए जाएंगे। दूसरी तरफ राज्य सरकार लेक्चररों के पदों को भरने के लिए आयोग गठित करने के पक्ष में है । शिक्षा मंत्री पीके शाही ने मीडिया से बातचीत में इसका साफ संकेत दिया था। उधर रेशनेलाइजेश की रिपोर्ट भी कहीं फाइलों में दबी है। सरकार विश्वविद्यालयों के वैसे विभागों से शिक्षकों के पदों को एकीकृत करना चाहती है या फिर शिफ्ट करना चाहती है , जहां छात्र हैं। विश्वविद्यालयों द्वारा पिछले वर्ष भेजी गयी रेशनेलाइजेशन रिपोर्ट , जिसमें विवि प्रशासन ने अपनी रिक्तियां दर्शायी हैं , सरकार को पूरी तरह मान्य नहीं है । इस पर भी रायशुमारी होना और एक मत होना विश्वविद्यालयों तथा राज्य सरकार के बीच बाकी है । उधर शिक्षा मंत्री का भी मानना है कि इस संबंध में उनके पास फि लहाल कोई प्रस्ताव नहीं आया है । इन तमाम हालातों से यह साफ है कि एक तो लेक्चरर बहाली को लेक र कोई सुगबुगाहट नहीं है । दूसरी कि इसमें पेच फंसने के भी आसार हैं । वैसे तो हर विवि में चयन कमेटी कार्यरत है लेकिन बहाली की प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर सरकार और राजभवन में वही संबंध बन रहे हैं जो पिछले दिनों दो कुलपतियों की बहाली के दौरान देखे गए थे(हिंदुस्तान,पटना,24.12.2010)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।