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17 दिसंबर 2010

सेमेस्टर बाज़ारीकरण का हिस्साःसद्गोपाल

शिक्षाविद् अनिल सदगोपाल ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में सेमेस्टर सिस्टम उच्च शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण के एजेंडे का हिस्सा है। सेमेस्टर को अलग करके नहीं देखा जा सकता। भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय इन दिनों इसी एजेंडे पर काम कर रहा है।

श्री सदगोपाल ने बुधवार को ये बातें दिल्ली विश्वविद्यालय में "वैश्वीकरण, निजीकरण और उच्च शिक्षा-सेमेस्टर सिस्टम का कार्यान्वयन" विषय पर आयोजित सेमिनार में कही। आयोजन आइसा, एआईएसएफ, एआइडीएसओ, केवाइएस, एलडीटीएफ, सीपीएफ और संभावना जैसे संगठनों ने किया था।

टैगोर हाल में आयोजित सेमिनार के पहले सत्र में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखीं। सभी ने सरकार की मौजूदा शिक्षा नीति की आलोचना की। दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में श्री सद्गोपाल ने अपनी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में नवउदारवादी नीति लागू की जा रही है । यह नीति पूरे विश्व में पूंजीपतियों ने तैयार किया है। सेमेस्टर सिस्टम भी इसी का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पॉलिसी को देश में अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार आनेवाले दिनों में संसद में शिक्षा से जुड़ी चार पांच विधेयक ला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार यह मान चुकी है कि शिक्षा बाजार में बेचने की वस्तु है। इसी को ध्यान में रखकर वह अपनी नीतियां बना रही है। उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत शिक्षा आमलोगों की पहुंच से दूर होता जाएगा। अर्जुन सेन गुप्ता की रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग का एक हिस्सा जो शिक्षा को खरीदने में सक्षम है उसे ध्यान में रखकर नीति तैयार की जा रही है। अन्य लोग जो इसे खरीदने की क्षमता नहीं रखते वे इससे दूर रहेंगे। वक्ता के रूप में हिन्दू कॉलेज में अंग्रेजी विभाग के प्रभारी पीके विजयन ने सेमेस्टर छात्रों की शिक्षा प्रणाली को किस तरह प्रभावित कर रहा है इस पर प्रकाश डाला। आखिर में छात्रों ने प्रो सदगोपाल से सवाल किए। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में सेमेस्टर सिस्टम का विरोध करने के लिए आंदोलन खड़ा करने का संकल्प लिया(नई दुनिया,दिल्ली,16.12.2010)।

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