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22 दिसंबर 2010

यूपीःबीएड प्रवेश परीक्षा में आसान नहीं पुरानी व्यवस्था की वापसी

भले ही प्रदेश के विश्वविद्यालयों ने अपनी-अपनी बीएड प्रवेश परीक्षा कराने का प्रस्ताव दिया हो, लेकिन इसकी राह उतनी आसान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा है।

चालू सत्र में प्रवेश व काउंसलिंग में हुए विलंब से अभी तक सत्र विनियमित नहीं हुआ है। स्थिति यही रही तो एक सत्र और शून्य करना पड़ सकता है। इसी के चलते लखनऊ में शिक्षा मंत्री डॉ. राकेशधर त्रिपाठी ने कुलसचिवों की बैठक में पुरानी व्यवस्था फिर से बहाल करने का मुद्दा रखा। संयुक्त प्रवेश परीक्षा से पहले सभी विवि अलग-अलग तिथियों में बीएड प्रवेश परीक्षा कराते थे। 85 प्रतिशत सीटें काउंसलिंग से और प्रबंधन कोटे की 15 प्रतिशत सीटें प्रबंधकों द्वारा सीधे प्रवेश से भरी जाती थीं। एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे प्रदेश में प्रवेश के लिये 'एकल विंडो सिस्टम' लागू करने की व्यवस्था दी। इसी के तहत प्रबंधन कोटा समाप्त कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा लागू की गयी। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के तहत ही प्रबंधकों ने एक संगठन बनाकर संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने कोशिश की। छात्रों का करोड़ों रुपया डूब गया। पुरानी व्यवस्था बहाल करने के मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए रास्ता निकालने का है। वैसे कुलसचिवों का मानना है कि राजस्थान व मध्य प्रदेश में विवि ही प्रवेश परीक्षा करा रहे हैं। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में प्रारूप प्रस्तुत कर रास्ता निकाला जा सकता है। बताया गया फिलहाल शासन इस पर विधिक राय लेने की तैयारी कर रहा है। कुलसचिवों की अगली मासिक बैठक में इस पर राय मांगी गयी है।
बीएड संयुक्त प्रवेश की यात्रा
पहली परीक्षा : 2007-08 : सीएसजेएम
दूसरी परीक्षा : 2008-09 : आगरा विवि
तीसरी परीक्षा : 2010-11: लखनऊविवि
शून्य सत्र घोषित : 2009 -10 चालू सत्र की शुरुआत : सितंबर- 2010(दैनिक जागरण,कानपुर,22.12.2010)

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