मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कहा है कि सरकारी नौकरी में रहते हुए किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरी, उसका अधिकार नहीं है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक योगराज द्वारा विभिन्न विभागों में भर्तियों से संबंधित नीति पर एक चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नौकरी देने से पहले यह देखा जाता है कि नौकरी लेने वाले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कैसी है। यही वजह है कि कई मामलों में करुणामूलक आधार पर नौकरियां लोगों को नहीं मिल पातीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्धारित शर्तों के अनुसार जहां भी जरूरी होता है, करुणामूलक आधार पर नौकरी दी जाती है। मुख्यमंत्री का कहना था कि यह भाजपा सरकार ही थी जिसने वाटर कैरिअर लगाने में भी पारदर्शिता बरतते हुए आरक्षण संबंधी रोस्टर को लागू किया था। उन्होंने विधायक योगराज को संबोधित करते हुए कहा कि आपने जो मुद्दा उठाया है, वह भर्तियों से संबंधित है न कि बेरोजगारों से। राज्य के बेरोजगारों को योग्यता के आधार पर नौकरियां दी जा रही हैं।
मुख्यमंत्री का कहना था कि आपने जो आंकड़े सदन में दिए हैं वे भी सही नहीं है। पता नहीं आपने इन्हें कहां से जुटाया है। इस पर योगराज का कहना था कि ये आंकड़े इसी विधानसभा में दिए गए थे। आप चाहें तो मैं सबूत के साथ आपको ये दे सकता हूं। जवाब में मुख्यमंत्री का कहना था कि आप इन्हें अपने पास ही रखिए। सरकार अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रही है। कानून के तहत जहां भी संभव होगा हम करुणामूलक आधार पर रोजगार उपलब्ध कराएंगे।
विधायक योगराज के भाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा की गई टीका टिप्पणियों के चलते वह बोलते हुए कई बार अटके। बाद में उन्होंने टीका-टिप्पणी करने वालों को यह कहकर चुप करवाने की कोशिश की कि अगर वह ज्यादा टोका-टोकी करेंगे तो मैं भी लम्बा भाषण दूंगा। उन्होंने यह मांग भी की कि अगर सरकार सभी बेरोजगारों को नौकरियां नहीं दे सकती तो वह उन्हें कम से कम बेरोजगारी भत्ता तो दे।
इससे पहले सदन में आज कांग्रेस सदस्य ठाकुर कौल सिंह ने एक अध्यापक द्वारा 13 साल की एक लड़की से और शिमला के एक होटल में एक रिसेप्शनिस्ट द्वारा एक विवाहित युवती के साथ बलात्कार किए जाने का मामला भी सदन में उठाया। ठाकुर कौल सिंह का कहना था कि ये दोनों मामले चिंताजनक हैं और इन दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने बलात्कार में संलिप्त अध्यापक को नौकरी से बर्खास्त किए जाने की मांग भी की। जवाब में मुख्यमंत्री धूमल का कहना था कि उक्त अध्यापक को गिरफ्तार कर लिया गया है और शिमला वाले मामले में भी कार्रवाई की जा रही है(शशिकांत और जीसी.पठानिया,दैनिक ट्रिब्यून,धर्मशाला,10.12.2010)
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