आवेदन की अंतिम तिथि- 20 दिसम्बर, 2010
देश में मौजूदा प्रतिभावान महिला शक्ति को बेहतर विकास और विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करने के लिए खासतौर पर भारत सरकार की ओर से वुमन साइंटिस्ट स्कॉलरशिप स्कीम चलाई जा रही है, जिसे डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) चलाता है।
सामान्य योग्यता
आवेदक का भारतीय होना जरूरी है। इसके अलावा कम्प्यूटर आधारित डेटाबेस के इस्तेमाल को लेकर भी आवेदक का निपुण होना जरूरी है। आयु की बात करें तो आवेदक की उम्र 50 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
शैक्षणिक योग्यता
आवेदक मास्टर ऑफ साइंस इन फिजिकल साइंसेस, कैमिकल साइंसेस, लाइफ साइसेंस डिग्री प्राप्त होना चाहिए। इसके अलावा बैचलर और मास्टर डिग्री इन इंजीनियरिंग, मेडिसन, फार्मास्युटिकल साइंसेज, वैटनरी साइंसेज की डिग्री प्राप्त आवेदक इस स्कॉलरशिप के लिए दावेदारी पेश कर सकती हैं। इन क्षेत्रों में डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त भी इस स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकती हैं।
स्कॉलरशिप की अवधि व सहायता
एक साल के लिए स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। एमएससी/ बीटेक/ एमबीबीएस/ बीफार्मा व समान योग्यता रखने वाले आवेदकों के लिए यह 12,500 रुपये प्रतिमाह निर्धारित है। इसी तरह पीएचडी/ एमटेक/ एमफॉर्मा/ एमएस/ एमडी और इसके समान शैक्षणिक योग्यता प्राप्त आवेदकों को 17 हजार 500 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
कोऑर्डिनेशन सेंटर्स
इस स्कॉलरशिप की तमाम गतिविधियों की जिम्मेदारी देशभर में बनाये गए कोऑर्डिनेशन सेंटर्स के जिम्मे रहती है। इन सेंटरों में सेंटर फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन इन साइंसेज, चेन्नई, इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर और यूनिटी फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन प्रोडक्ट्स, पुणे के नाम शामिल हैं, जहां उम्मीदवारों की ट्रेनिंग प्रक्रिया अंजाम दी जाती है।
चयन की प्रक्रिया
चयन प्रक्रिया ऑल इंडिया लेवल पर होने वाली एक लिखित परीक्षा व इंटरव्यू पर आधारित होती है। लिखित परीक्षा दिल्ली, चेन्नई, खड़गपुर और पुणे में आयोजित की जाती है। इंटरव्यू भी इन्हीं शहरों में होता है।
कैसे करें आवेदन
ईमेल व फैक्स से भेजे जाने वाले आवेदनोंपर विचार नहीं किया जाता। सभी आवेदन पोस्ट और स्पीड पोस्ट के माध्यम से ही स्वीकार किए जायेंगे।
आवेदन व अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
-दिल्ली सेंटर
डायरेक्टर, पेटेंट फैसीलिटेटिंग सेंटर, टेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन, फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल, विश्वकर्मा भवन, शहीद जीत सिंह मार्ग, नई दिल्ली-16
-खड़गपुर सेंटर
डीन, कन्टीन्यूइंग एजुकेशन प्रोग्राम, वुमन साइंटिस्ट स्कॉलरशिप स्कीम, इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर, पश्चिम बंगाल
-चेन्नई सेंटर
डायरेक्टर, सेंटर फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन इन साइंस, 2, गांधी मंडपम रोड, चेन्नई
-पुणे सेंटर
हैड, यूनिट फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन प्रोडक्ट्स, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, पुणे।
(अनामिका चौहान,हिंदुस्तान,दिल्ली,30.11.2010)
आज इस संबंध में दैनिक भास्कर,इन्दौर संस्करण में छपी रिपोर्टः
विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छुक लड़कियों के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक योजना शुरू की गई है। इसके तहत स्कॉलरशिप में रिसर्च स्कॉलर्स को एक साल की ट्रेनिंग के साथ-साथ इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी।
साइंस में रिसर्च करने वाली गल्र्स स्कॉलर्स को प्रोत्साहित करने के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉलरशिप एक्जाम आयोजित करेगा। इसमें बीटैक, एमएसएसी, एमसीए, बीफार्मा और मेडिकल के क्षेत्र से जुड़ी गल्र्स शामिल हो सकेंगी। इसके लिए 20 दिसंबर तक डिपार्टमेंट की साइट पर आवेदन किया जा सकता है।
दो कैटेगरी होंगी : स्कॉलरशिप की दो कैटेगरीज रखी गई हैं। एक साल के लिए दी जाने वाली इस स्कॉलरशिप की एक्जाम में एमसी, बीटैक, एमबीबीएस, बीफार्मा और मेडिकल की स्टूडेंट्स हिस्सा ले सकती हैं। इंटरव्यू में सिलेक्ट कैंडीडेट को हर महीने 12,500 और पीएचडी,एमटैक,एमफार्मा,एमवीएस,एमएस और एमडी किए हुए कैंडीडेट को 17,500 रु. हर महीने दिए जाएंगे।
रिटन टेस्ट के बाद इंटरव्यू : स्कॉलरशिप के लिए रिटन टेस्ट और इंटरव्यू दोनों होंगे। दिल्ली के डीएसटी की सीड डिवीजन शोभना भास्करन ने बताया कि रिटन एक्जाम में चुने गए कैंडीडेट के इंटरव्यू दिल्ली, चेन्नई, पुणे और खड़गपुर में लिए जाएंगे। सालभर चलने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम मे ओरिएंटल प्रोग्राम के साथ इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी।
एक साल की होगी ट्रेनिंग : सिलेक्टेड कैंडीडेट को एक साल की ट्रेनिंग दिल्ली, चेन्नई, खड़गपुर और पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेजेज में दी जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान केवल सालभर में आठ छुट्टियां मिलेंगी।
डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस दिल्ली के डॉ.प्रवीर आस्थना ने बताया कि रिसर्च वर्क में और कुछ इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रही गल्र्स को एक दिशा मिल सके इसी उद्देश्य से यह स्कॉलरशिप शुरू की गई है।
साइंस और टेक्नोलॉजी में भविष्य देखने वाली गल्र्स के लिए अच्छा अवसर है कि उन्हें देश के चार बड़े टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट्स में ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान बनाए जाने वाले प्रोजेक्ट को उनके नाम पेटेंट भी किया जाएगा।
आज इस संबंध में दैनिक भास्कर,इन्दौर संस्करण में छपी रिपोर्टः
विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छुक लड़कियों के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक योजना शुरू की गई है। इसके तहत स्कॉलरशिप में रिसर्च स्कॉलर्स को एक साल की ट्रेनिंग के साथ-साथ इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी।
साइंस में रिसर्च करने वाली गल्र्स स्कॉलर्स को प्रोत्साहित करने के लिए साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉलरशिप एक्जाम आयोजित करेगा। इसमें बीटैक, एमएसएसी, एमसीए, बीफार्मा और मेडिकल के क्षेत्र से जुड़ी गल्र्स शामिल हो सकेंगी। इसके लिए 20 दिसंबर तक डिपार्टमेंट की साइट पर आवेदन किया जा सकता है।
दो कैटेगरी होंगी : स्कॉलरशिप की दो कैटेगरीज रखी गई हैं। एक साल के लिए दी जाने वाली इस स्कॉलरशिप की एक्जाम में एमसी, बीटैक, एमबीबीएस, बीफार्मा और मेडिकल की स्टूडेंट्स हिस्सा ले सकती हैं। इंटरव्यू में सिलेक्ट कैंडीडेट को हर महीने 12,500 और पीएचडी,एमटैक,एमफार्मा,एमवीएस,एमएस और एमडी किए हुए कैंडीडेट को 17,500 रु. हर महीने दिए जाएंगे।
रिटन टेस्ट के बाद इंटरव्यू : स्कॉलरशिप के लिए रिटन टेस्ट और इंटरव्यू दोनों होंगे। दिल्ली के डीएसटी की सीड डिवीजन शोभना भास्करन ने बताया कि रिटन एक्जाम में चुने गए कैंडीडेट के इंटरव्यू दिल्ली, चेन्नई, पुणे और खड़गपुर में लिए जाएंगे। सालभर चलने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम मे ओरिएंटल प्रोग्राम के साथ इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी।
एक साल की होगी ट्रेनिंग : सिलेक्टेड कैंडीडेट को एक साल की ट्रेनिंग दिल्ली, चेन्नई, खड़गपुर और पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेजेज में दी जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान केवल सालभर में आठ छुट्टियां मिलेंगी।
डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस दिल्ली के डॉ.प्रवीर आस्थना ने बताया कि रिसर्च वर्क में और कुछ इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रही गल्र्स को एक दिशा मिल सके इसी उद्देश्य से यह स्कॉलरशिप शुरू की गई है।
साइंस और टेक्नोलॉजी में भविष्य देखने वाली गल्र्स के लिए अच्छा अवसर है कि उन्हें देश के चार बड़े टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट्स में ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान बनाए जाने वाले प्रोजेक्ट को उनके नाम पेटेंट भी किया जाएगा।
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