जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गत वर्ष पांच दिसंबर को शेर- ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर जोरशोर के साथ रोजगार नीति घोषित की थी। उन्होंने ऐलान किया था कि सरकार पांच साल में पांच लाख युवाओं को रोजगार प्रदान करेगी। स्वैच्छिक सेवा भत्ता (वीएसए) के साथ ही स्वयं रोजगार योजनाओं का लाभ देने की भी घोषणा हुई थी। हकीकत यह है कि रोजगार नीति लागू होने के एक साल बाद भी सरकार मात्र 7973 युवाओं को वीएसए का लाभ प्रदान कर सकी। 108 बेरोजगारों को उद्यमी बनाने के लिए ऋण उपलब्ध करवाना यह दर्शाता है कि सरकार की नीति कितनी कारगर साबित हुई है। जानकारी के अनुसार, अक्टूबर 2010 तक 5,92000 पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं ने राज्य के विभिन्न रोजगार कार्यालयों में नाम दर्ज कराए हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम में सीएम ने सीड मनी के लिए 51 उद्यमियों को चेक भेंट किए। इन युवाओं को जम्मू एंड कश्मीर इंटरप्रन्युशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (जेकेईडीआई) ने ट्रेनिंग दी थी। सरकार ने दो दिन पहले 2 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर जम्मू जिले के सभी युवाओं से कहा कि जिन्होंने 5 दिसंबर 2009 तक अपने नाम रोजगार कार्यालय में दर्ज कराए थे। उनकी आयु पहली जनवरी 2010 तक 26 वर्ष बनती है तो वे वीएसए के लिए आवेदन कर सकते हैं। कहने का मतलब यह है कि एक वर्ष में सरकार वीएसए उपलब्ध करवाने के अलावा स्वयंरोजगार की योजनाओं का लाभ देने में नाकाम रही है। रोजगार नीति के तहत हथकरघा, हस्तकला, खाद्य प्रसंस्करण, लेदर, सिल्क, वूल में 2000 औद्योगिक इकाईयां स्थापित करने के लिए बीस हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना था। इसके अलावा महिला विकास निगम में 50हजार, जेकेईडीआई में सीट कैपिटल के लिए 50 हजार युवाओं को रोजगार देना था। सबसे अधिक आईटीआई, जेकेईडीआई, हथकरघा में स्किल्ड डेवलमेंट के जरिए दो लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाना था। हालांकि यह पांच वर्ष में करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन एक वर्ष में औसतन जितना कार्य होना चाहिए था नहीं हुआ है। अधिकतर विभागों में युवाओं को स्वयंरोजगार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया(सतनाम सिंह,दैनिक जागरण,जम्मू,6.12.2010)।
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