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09 दिसंबर 2010

बिहारःसंस्कृत को रोज़गारपरक बनाने की तैयारी

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड द्वारा पाठ्यक्रम को रोजगारपरक बनाने की तैयारी हो रही है। इससे संस्कृत भाषा को व्यावहारिक बनाने में मदद मिलेगी। पाठ्यक्रम में पहले से शामिल संस्कृत व्याकरण, संस्कृत साहित्य, धर्मशास्त्र, वेद-पुराण, कर्मकांड, फलित ज्योतिष और सर्वदर्शन विषयों के अलावा कम्प्यूटर, योग, कौशल व नैतिक शिक्षा को भी सम्मिलित किया जाएगा। इसके लिए उच्चस्तरीय पाठ्यक्रम समिति गठित की गई है। नये पाठ्यक्रम के तहत ही वर्ष 2012 की मध्यमा परीक्षा संचालित होगी। सूबे के करीब साढ़े तीन हजार संस्कृत स्कूलों में नये पाठ्यक्रम के तहत ही पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। यहां तक कि पिछले वर्ष से ही परीक्षा में आईसीआर फार्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्कूलों में आधारभूत संरचना निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा स्कूलों को जिलाधिकारी के माध्यम से निरीक्षण कराया जा रहा है। स्कूलों के पुस्तकालयों को समृद्ध करने और शिक्षकों तथा छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए बोर्ड प्रशासन की ओर से सभी स्कूलों को पत्र भी लिखा गया है। संस्कृत शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन सिद्धेश्वर प्रसाद ने बुधवार को अपने दफ्तर में बताया कि नये पाठ्यक्रम के तहत संस्कृत शिक्षा को रोजगारमूलक बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हर माह स्कूलों में संगोष्ठी और प्रतियोगिता का आयोजन पर बल दिया जा रहा है। बोर्ड प्रशासन का मानना है कि संस्कृत शिक्षा के माध्यम से बच्चों में संस्कार और संस्कृति देना है तो नैतिक शिक्षा जरूरी है। संस्कृत को केवल पुरातन भाषा बताकर हम उसकी उपेक्षा नहीं कर सकते हैं(दैनिक जागरण,पटना,9.12.2010)।

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