शिक्षा विभाग में किस स्तर तक कोताही बरती जाती है, इसकी बानगी बूंदी जिले में सामने आई है। जिले में सत्र 2006-07 में हुई जिला समान परीक्षाओं में 7 शिक्षकों ने एक पासबुक के प्रश्नपत्रों की हू-ब-हू नकल कर दी और इसी प्रश्नपत्र के आधार पर परीक्षाएं भी हो गई। एक शिक्षिका ने तो हद पार करते हुए कक्षा 6 के विद्यार्थियों के लिए कक्षा 7 की किताब में से प्रश्न पत्र बना दिया।
परीक्षा के दौरान यह गड़बड़ी पकड़ में आई। इन सभी मामलों को विभाग ने गंभीर कोताही मानते हुए दोषी शिक्षकों के खिलाफ 16 सीसीए में कार्रवाई की है। जिले के 9 शिक्षकों की दो वर्ष की वेतन वृद्धियां रोकी जाएगी। यह फैसला निदेशक माध्यमिक शिक्षा भास्कर ए. सावंत ने प्रकरणों की सुनवाई के बाद किया। मामले में तत्कालीन जिला समान परीक्षा योजना के समन्वयक व राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बूंदी के प्रधानाचार्य को भी सजा का पात्र माना गया और उनके खिलाफ भी यही कार्रवाई की गई।
ये भी दोषी
बोर्ड परीक्षाओं में तीन साल से न्यून परीक्षा परिणाम रहने पर 6 प्रधानाचार्योü के खिलाफ 17 सीसीए ई के तहत कार्रवाई की गई और 1 साल की असंचयी प्रभाव से वेतनवृद्धि रोक दी गई। दो वर्ष से न्यून परिणाम दे रहे 15 विद्यालयों के प्रधानाचार्योü को परिनिन्दा का दोषी माना गया तथा 1 साल के न्यून परीक्षा परिणाम देने वालों को परिणाम सुधारने के लिए चेतावनी दी। न्यून परीक्षा परिणाम में कोटा के 13, झालावाड़ के 5, बूंदी के 7 तथा बारां के 3 मामले हैं।
इनकी हुई सुनवाई
कोटा प्रवास के दौरान गत सोमवार को शिक्षा उपनिदेशक माध्यमिक कार्यालय में निदेशक भास्कर ए. सावंत ने प्रकरणों की सुनवाई की। यहां 41 मामलों की सुनवाई होनी थी, लेकिन दो शिक्षक 2 अनुपस्थित रहे। सुनवाई में सीसीए 16 के 9 मामले थे, जो सभी बूंदी से संबंधित थे, जबकि सीसीए 17 के 2, अपील के 2 तथा सीसीए 17 ई न्यूनतम परीक्षा परिणाम के 28 मामले थे।
अगली कार्रवाई बीकानेर से
निदेशक ने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रकरणों की सुनवाई की थी, जिसमें सभी मामलों पर चर्चा हुई, दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए प्रक्रिया भी शुरू की गई है। इस मामले में अगली कार्रवाई बीकानेर से ही होगी।
रणवीर सिंह, सहायक निदेशक, माध्यमिक शिक्षा(राजस्थान पत्रिका,कोटा,9.12.2010)
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