उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के एक मदरसे में विद्यार्थियों को इस्लाम के साथ ही योग की शिक्षा भी दी जा रही है। एक हिंदू शिक्षक यहां विद्यार्थियों को योग की क्रियाएं सिखाता है।
कौशाम्बी के करारी कस्बे में स्थित जामिया इमदादुल उलूम मदरसे में विद्यार्थियों को सेहतमंद और रोगमुक्त बनाने के मकसद से हाल ही में योग की कक्षा शुरू की गई है। 1964 में स्थापित इस मदरसे में लगभग 600 विद्यार्थी (छात्र-छात्राएं) हैं। योग कक्षा की शुरुआत इसी महीने की 19 तारीख से हुई है।
मदरसे के प्रमुख मोहम्मद इमरान ने कहा कि योग कक्षा शुरू करने के पीछे मुख्य मकसद विद्यार्थियों को मानसिक और शारीरिक रूप से चुस्त रखना है।
इमरान ने कहा कि योग के माध्यम से जहां विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी, वहीं इससे लोगों के बीच साम्प्रदायिक सद्भाव का संदेश भी जाएगा।
इमरान ने कहा कि योग को हिंदू दर्शन का अंग माना जाता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि समाज और मनुष्य की बेहतरी के लिए किसी अन्य धर्म के दर्शन को अपनाने में कोई बुराई नहीं है।
इमरान ने बताया कि किसी को कोई एतराज न हो, इस बात का ध्यान रखते हुए यहां योग की शुरुआत 'बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम' से होती है।
रहमान कहते हैं कि सामान्य रूप से योग सत्र 'ओम' के उच्चारण से शुरू होता है, लेकिन चूंकि मदरसे में सभी विद्यार्थी मुसलमान हैं, लिहाजा यह निर्णय लिया गया कि योग सत्र की शुरुआत 'बिस्मिलाह अल रहमान अल रहीम' से होगी।
इमरान को इस बात की बहुत खुशी है कि उनके इस कदम का किसी ने विरोध नहीं किया, धर्मगुरुओं ने भी नहीं। इमरान का कहना है कि इस्लाम में भी सेहत को लेकर तमाम बातें बताई गईं हैं।
मदरसे में योग सत्र की शुरुआत सुबह छह बजे होती है। योग शिक्षक कुलदीप खरे कहते हैं कि विद्यार्थियों में योग सीखने के प्रति गजब का उत्साह है। उन्होंने कहा कि यदि कोई विद्यार्थी योग नहीं सीखना चाहता तो उस पर किसी तरह का दबाव नहीं है।
मदरसा प्रशासन के मुताबिक छात्राएं भी योग सत्र में हिस्सा ले रही हैं। मदरसे के इस कदम की स्थानीय लोग प्रशंसा कर रहे हैं। मोहम्मद अकील कहते हैं कि इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए। उम्मीद है कि राज्य के अन्य मदरसों में भी योग शिक्षा की शुरुआत होगी(नवभारत टाइम्स,कौशाम्बी,23.12.2010)।
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