गुरुवार को लखनऊ में पुलिस की लाठी-गोली खाने और नदी में कूदने के बाद ग्राम रोजगार सेवकों के प्रति सरकार ने कुछ नरमी दिखानी शुरू की है। आज दिन भर इस मामले में ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी मंथन करते रहे और जल्दी ही कुछ निर्णय करने का संकेत दिया।
सचिव ग्राम्य विकास मनोज कुमार सिंह यदि लखनऊ में होते तो प्रस्ताव आज ही तैयार हो गया होता किन्तु वह झांसी दौरे पर थे। आज शाम को लौटते ही उन्होंने कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह व मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता से भेंट की और ग्राम सेवकों की समस्या से उन्हें अवगत कराया। मुख्य सचिव ने उनसे प्रस्ताव तैयार करके यथाशीघ्र कैबिनेट के विचारार्थ रखने को कहा। सूत्रों का कहना है कि अब इसपर अंतिम फैसला कैबिनेट ही करेगी।
ज्ञातव्य है कि मनरेगा के कामकाज में हाथ बंटाने के लिए 2007 में प्रदेश की ग्राम सभाओं में लगभग 40 हजार ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति की गयी और मानदेय तीन हजार रुपये मासिक निर्धारित किया गया। नियुक्ति के समय ही शर्त रखी गयी कि काम संतोषजनक पाये जाने पर उन्हें तीन साल का सेवा विस्तार दिया जाएगा। इसी बीच ग्राम विकास विभाग ने एक आदेश जारी करके नयी भर्ती करने का फैसला किया। यह बात ग्राम रोजगार सेवकों के गलेनहीं उतरी और गुरुवार को वह लखनऊ में प्रदर्शन करने चले आये। उनकी मांग थी कि उन्हें नियमित किया जाए और जब तक पुराने लोग उपलब्ध हैं नये की भर्ती न की जाए। सारी समस्याओं पर विचार करने के बाद ही सरकार अब इस बारे महत्वपूर्ण फैसला करने पर विचार कर रही है(दैनिक जागरण संवाददाता,लखनऊ,3.12.2010)।
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