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25 दिसंबर 2010

संयुक्त मेडिकल परीक्षा शुरू करना चाहता है केंद्र

सुप्रीम कोर्ट से इसी महीने मिली हरी झंडी के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय इस प्रयास में जुट गया है कि मेडिकल की साझा प्रवेश परीक्षा अगले सत्र से ही लागू की जा सके। इसीलिए राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक जनवरी में बुलाई गई है। बैठक के दौरान केंद्र सरकार ग्रामीण डॉक्टरी के पाठ्यक्रम बीआरएचसी [बैचलर ऑफ रूरल हेल्थ केयर] पर भी राज्यों को साथ लेने की कोशिश करेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रियों व सचिवों की बैठक अब 12-13 जनवरी को हैदराबाद में बुलाई जा रही है। पहले इसे 30-31 जनवरी को बेंगलूर में होना था। लेकिन अगले पाठ्यक्रम के दाखिले में ज्यादा समय न होने की वजह से केंद्र इस पर जल्दी फैसला लेना चाहता है। स्वास्थ्य मंत्रालय चाहता है कि अगर सिर्फ केंद्र व राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए भी साझा दाखिला प्रक्रिया शुरू हो जाए तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया [एमसीआइ] के मूल प्रस्ताव में यह 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा [एनईईटी]' प्राइवेट कॉलेजों पर भी समान रूप से लागू होने की बात की गई है। लेकिन प्राइवेट कॉलेजों के मामले में भी केंद्र राज्यों की सहमति के आधार पर ही कोई कदम उठाना चाहता है। छात्रों को अभी प्राइवेट कॉलेजों के अलावा राज्य सरकारों के मेडिकल कॉलेजों के लिए भी अलग-अलग दाखिला परीक्षा देनी होती है।

बैठक में स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े व्यापक मुद्दों पर तो चर्चा होगी ही, केंद्र चाहता है कि इस बैठक के दौरान ही बीआरएचसी पाठ्यक्रम के लिए भी राज्यों को तत्परता से काम करने के लिए रजामंद कर लिया जाए, ताकि जल्दी ही राज्य सरकारें अपने जिला अस्पतालों में इस तरह के मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए जरूरी ढांचागत सुविधाएं खड़ी कर सकें। बैठक के एजेंडे में नवजात शिशु मृत्यु दर, बाल मृत्यु दर और प्रसव दौरान होने वाली मृत्यु व संक्रामक रोगों को सबसे प्रमुख स्थान दिया गया है।
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि 'साझा दाखिला परीक्षा के एमसीआइ के प्रस्ताव को राज्यों को सहमति के लिए भेज दिया गया है। अब उनकी रजामंदी के आधार पर आगे बढ़ने की कोशिश की जाएगी(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,25.12.2010)।'

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