उच्च शिक्षा के लिहाज से ब्रिटेन भारतीय छात्रों का हमेशा से सर्वाधिक पसंदीदा गढ़ रहा है। हालांकि ९/११ के बाद काफी कुछ बदल गया है- यहां प्रवेश के नियम ज्यादा सख्त हो गए हैं और इस देश में रहने के लिए वर्क वीजा हासिल करना अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया है। यद्यपि जब भारतीय छात्रों के लिए अपने डॉलर और पाउंड से जुड़े सपनों को पूरा करने की बात आती है, तो वे इसे लेकर ज्यादा परेशान नजर नहीं आते। यूके में १२क् से भी ज्यादा विश्वविद्यालय देश-विदेश के छात्रों को बेहतरीन शिक्षा मुहैया करा रहे हैं।
ग्रेजुएशन के बाद एक साल का वर्क परमिट और स्टूडेंट विजिटर वीजा जैसे प्रावधान यूके को और भी ज्यादा आकर्षक गढ़ बनाते हैं। यूके में पढ़ने वाले कुल विदेशी छात्रों में से ६२ फीसदी मात्र दस देशों से आते हैं और इनमें से भी आधे चीन या भारत से होते हैं। दूसरे देशों के मुकाबले यूके एक साल का पीजी डिप्लोमा कोर्स भी करवाता है।
एडमिशन
यहां दाखिला सत्र सितंबर से शुरू होता है। हालांकि ऐसे छात्र जो देर से दस्तावेज जमा करने या आवेदन में देरी होने जैसे कारणों के चलते दाखिले के लिए लेट हो जाते हैं, उन्हें सत्र के मध्य में जनवरी में भी प्रवेश दिया जा सकता है। अंडरग्रेजुएट कोर्स करने के लिए यूके के ज्यादातर संस्थान सीबीएसई और आईसीएसई सर्टिफिकेट को मान्यता देते हैं। दाखिले के लिए जरूरी न्यूनतम आईईएलटीएस स्कोर आपके द्वारा चयनित कोर्स या विश्वविद्यालय जैसे कई कारकों पर निर्भर करता है। हालांकि एक औसत विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट आर्ट्स विषय के लिए आईईएलटीएस का बैंड स्कोर ६ होना पर्याप्त है (कहीं-कहीं तो इससे भी कम बैंड स्कोर चल जाता है)। पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के लिए ज्यादातर विश्वविद्यालय न्यूनतम ६.५ आईईएलटीएस स्कोर की मांग करते हैं।
उपलब्ध कोर्स
यूके में छात्रों के लिए पाठ्यक्रम और अवधि के हिसाब से अनेक विकल्प मौजूद हैं। लोकप्रिय विषयों में एग्रीकल्चर व इससे संबंधित अन्य विषय, एप्लाइड एंड प्योर साइंसेज, आर्किटेक्चर, बिल्डिंग एंड प्लानिंग, बिजनेस एंड एडमिनिस्ट्रेटिव स्टडीज, कंप्यूटर एंड मैथमेटिकल साइंसेज, क्रिएटिव आर्ट्स एंड डिजाइन, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हेल्थ एंड मेडिसिन, ह्यूमैनिटीज, लॉ एंड लीगल स्टडीज, एमबीए, सोशल स्टडीज एंड कम्युनिकेशन तथा ट्रैवल एंड टूरिज्म से जुड़े विषय शामिल हैं।
महंगी है शिक्षा
यूके में पढ़ाई करना सस्ता नहीं है। इस वजह से छात्रों को स्कॉलरशिप या अनुदान जैसे विकल्पों पर नजर रखनी होगी। हालांकि यहां अलग-अलग यूनिवर्सिटी में ट्यूशन फीस अलग-अलग हो सकती है, लेकिन आप यह तय मानकर चलिए कि यहां आपका पढ़ाई-लिखाई पर सालाना ६ से ७ लाख रुपए तक खर्च हो सकता है। इसके अलावा रहने-खाने का खर्चा अलग। यूके में ब्रिटिश सरकार के अलावा विभिन्न संस्थान भी आर्थिक रूप से कमजोर मगर प्रतिभाशाली छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं।
अमूमन यहां के संस्थान अंडरग्रेजुएट व वोकेशनल स्कॉलरशिप स्कीम के तहत छात्रवृत्ति व फीस में रियायत की सुविधा देते हैं। लेकिन छात्रों को आवेदन से पहले विभिन्न विकल्पोंकी तलाश कर लेनी चाहिए। अमूमन छात्रों को पीजी कोर्स, रिसर्च व पोस्ट-डोक्टोरल स्टडीज के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। यहां पर हर साल १क्क् से ज्यादा भारतीय छात्र वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं।
वर्क परमिट
यूके में छात्रों को अपनी पढ़ाई के दौरान २0 घंटे तथा छुट्टियों के दौरान पूर्णकालिक काम करने का विकल्प उपलब्ध है। यदि यूके में छात्र छह महीने से ज्यादा समय से रह रहे हैं तो वे नेशनल हेल्थ सर्विस के जरिए रियायती स्वास्थ्य सुविधाएं पाने के पात्र हो जाते हैं। यूके के किसी संस्थान में दाखिले से पहले छात्रों को उसकी साख के बारे में भलीभांति पता कर लेना चाहिए। पोस्टग्रेजुएट छात्र चाहें तो सीधे यूनिवर्सिटी में आवेदन कर सकते हैं।
वीजा आवेदन
वीजा के लिए आवेदन पत्र के साथ ऑफर लेटर और पासपोर्ट के अलावा अन्य वित्तीय दस्तावेज भी जमा करने पड़ते हैं। वीजा पाने के लिए वित्तीय दस्तावेज बहुत अहम हैं। इन दस्तावेजों में बैंक से लिए गए कर्ज संबंधी जानकारी, पिछले छह महीने का बैंक स्टेटमेंट और पिछले दो वर्षो का इनकम टैक्स रिटर्न शामिल हैं। हालांकि छात्रों के लिए यूके में पढ़ाई के साथ काम करने का विकल्प उपलब्ध है, लेकिन उन्होंने वीजा ऑफीसर के समक्ष यह साबित करना होगा कि वे काम के बगैर भी पढ़ाई का खर्चा वहन कर सकते हैं(दैनिक भास्कर,29.11.2010)।
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