ग्रामीण भारत में पारंपरिक रूप से एग्रीकल्चर को जीवनयापन का एक मुख्य स्रोत माना जाता रहा है लेकिन अब पढ़े-लिखे भारतीयों के लिए भी एग्रीकल्चर रोजगार का एक मुख्य स्रोत बन गया है। अब एग्रीकल्चर में कॅरिअर सिर्फ खेती-बाड़ी तक ही सीमित नहीं रह गया है। अब इसमें साइंटिस्ट, इंजीनियर्स, एमबीए, बैंकर, मैन्युफैक्चरर, ट्रेडर एग्रीकल्चर मैनेजर, रूरल मैनेजर व एंटरप्रेन्योर जैसे कई कॅरिअर अवसर हैं। गांवों के विकास से जुड़ी सभी योजनाओं की देख-रेख एग्रीकल्चर मैनेजर करते हैं। गांवों के विकास के लिए शोध अध्ययन, वहां की जलवायु के अनुरूप किसानों को खेती संबंधित नई-नई जानकारी देना, नई तकनीक से परिचित कराना तथा लघु एवं कुटीर उद्योगों का भविष्य तलाशना आदि इनका कार्यक्षेत्र है।
गौरतलब है कि ई-चैपाल ने एग्रीकल्चर सेक्टर में क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स की मांग को बहुत गति दी है। ई-चौपाल एक तरह की ऐसी क्रांति है जिसने किसानों की जिंदगी में रिफॉर्म का काम किया। यहां किसानों को बाजार की कीमतें व मौसम के बारे में मिली जानकारी ने उन्हें उनकी खेती की पूरी कीमत दिलाई। वर्तमान समय में एग्रीकल्चर के क्षेत्र में एग्रीकल्चर मैनेजमेंट के जानकारों की बहुत भारी मांग है। एक ओर से एग्रीकल्चर मैनेजर्स किसानों के साथ काम करने का संतोष पाते हैं तो दूसरी ओर नामी गिरामी कॉर्पोरेट कंपनियों से जुड़कर अच्छा खासा वेतन भी प्राप्त करते हैं। खुदरा व्यापार के क्षेत्र में अब बड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस, बिग बाजार, सुभिक्षा, भारती आदि के उतरने से एग्रीकल्चर के क्षेत्र में बहुत भारी बदलाव आया है।
सीधा किसानों से फल-सब्जी व अन्य सामग्रियां लेने का इन रिटेलर्स का फंडा जहां किसानों को फायदा पहुंचाता है वहीं दूसरी ओर मैनेजर्स की डिमांड को भी बहुत बढ़ाता है। प्राइवेट सेक्टर बैंक रूरल क्षेत्रों में अपना फैलाव कर रहे हैं। इससे भी एग्रीकल्चर मैनेजमेंट के जानकारों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। एग्रीकल्चर मैनेजमेंट के कोर्सों में आपको लाभ को बढ़ाना और आर्गेनाइजेशन में अपनी योग्यता को कैसे स्थापित किया जाए उसके तरीके बताए जाते हैं। एग्रीकल्चर मैनेजमेंट के कोर्सो में ग्रामीण इलाकों को समझना तथा कॉर्पोरेट व किसानों को बेहतर डील कैसे मिले यह बताया जाता है।
इसके अलावा बड़े स्तर पर विदेशी प्रोजेक्ट्स, फर्म को मैनेज करना और दैनिक गतिविधियों को ध्यान में रखना भी इसी का हिस्सा है। यदि आपको एग्रीकल्चर कंसल्टेंसी में प्लेसमेंट मिलता है तो आपको प्लान, बजट, मार्केट, सुपरवाइजर और वर्कर को रिक्रूट करने का काम भी करना होगा। यदि आपके पास एग्रीकल्चर मैनेजमेंट या रूरल मैनेजमेंट की डिग्री है तो आप एनजीओ, सहकारी बैंक, इंश्योरेंस कंपनी, फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस रिटेल, गोदरेज, भारती आदि में बहुत अच्छे वेतन पर नियुक्ति के अवसर उपलब्ध होते हैं। एग्रीकल्चर मैनेजमेंट का कोर्स करने हेतु मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से न्यूनतम ५० प्रतिशत अंकों से उत्तीर्णहोना आवश्यक है। सभी प्रतिष्ठित संस्थान एग्रीकल्चर मैनेजमेंट के पाठ्यक्रमों में प्रवेश देने हेतु इंट्रेंस टेस्ट का आयोजन करते हैं। स्नातक के उपरांत एग्रीकल्चर मैनेजमेंट में एक वर्षीय डिप्लोमा भी किया जा सकता है।
कहां से करें कोर्स
*इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, अहमदाबाद, गुजरात।
* इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, लखनऊ।
* जेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, भुवनेश्वर।
* इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर।
* इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आणंद, गुजरात।
* नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, हैदराबाद।
(जयंतीलाल भंडारी,मेट्रो रंग,नई दुनिया,दिल्ली,29.11.2010)
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