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18 दिसंबर 2010

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले पर राष्ट्रपति गंभीर

अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में घिरे और 19 दिसंबर को कोर्ट की बैठक कराने पर आमादा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ मिली शिकायतों को विजिटर (राष्ट्रपति) ने गंभीरता से लिया है। लिहाजा केंद्र सरकार ने न सिर्फ बैठक पर रोक लगा दी है बल्कि उसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर जवाब तलब कर लिया है। विजिटर के निर्देश पर मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को कुलपति को भेजे नोटिस में उनसे 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है। नोटिस के मुताबिक आगामी 19 दिसंबर को कोर्ट की प्रस्तावित बैठक को अब तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक विजिटर को नोटिस का जवाब नहीं मिल जाता। चूंकि कोर्ट की बैठक में सिर्फ एक दिन का समय बचा है, लिहाजा उसके सभी सदस्यों को बैठक निरस्त होने की सूचना से तत्काल अवगत कराने के भी निर्देश दिये गये हैं। नोटिस में बीते सोमवार को विजिटर (राष्ट्रपति) प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से मिलने वाले एएमयू कोर्ट के सदस्यों व सांसदों की शिकायतों का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि विश्वविद्यालय के चांसलर, प्रो-चांसलर, कोषाध्यक्ष और कार्यकारी परिषद के छह सदस्यों के चुनाव के लिए 19 दिसंबर की प्रस्तावित बैठक के लिए कम से कम 35 दिन पहले सूचना देना जरूरी है। लिहाजा विजिटर ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की है। गौरतलब है कि बीते सोमवार को लोकसभा व राज्यसभा के दस सांसदों ने विजिटर को 137 सांसदों की दस्तखतयुक्त एक ज्ञापन देकर कोर्ट की बैठक पर तत्काल रोक की गुहार लगाई थी। सांसदों का कहना था कि 183 सदस्यों वाले कोर्ट (एएमयू का मुख्य संचालन मंडल) के 42 सदस्यों के पद खाली पड़े हैं। उनमें 15 वर्तमान छात्रों और 25 ओल्ड ब्यायज एसोसिएशन से हैं। जबकि वक्फ संबंधी दो सदस्य भी इस समय नहीं हैं और ऐसे में कार्यकारी परिषद के प्रमुख पदों व सदस्यों के चयन के लिए बैठक अवैधानिक है(दैनिक जागरण,दिल्ली,18.12.2010)।

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