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23 दिसंबर 2010

स्कूलों के पास जंक फूड पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

स्कूलों के आसपास जंक फूड और कार्बोनेट ड्रिंक्स की बिक्री रोकने की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग को जवाब-तलब कर लिया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार को स्कूलों की कैंटीन के लिए विस्तृत नीति लागू करनी चाहिए, ताकि बच्चों के खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता बढ़े और वह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हों। अगली सुनवाई ९ फरवरी को होगी।


इस मसले पर हाईकोर्ट गंभीर है, इसलिए कोर्ट की मदद और कानूनी राय लेने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल को नियुक्त किया गया है। यह याचिका एनजीओ उदय फाउंडेशन ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ के समक्ष दाखिल की है। उसमें शिक्षण संस्थानों के ५०० गज के आसपास जंक फूड व कार्बोनेट ड्रिंक की बिक्री पर पाबंदी लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य के लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी हो गया है। जंक फूड और कार्बोनेट ड्रिंक्स पर पाबंदी लगने से स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इसका अच्छा असर उनके चित्त, शारीरिक विकास और पढ़ाई पर पड़ेगा(नई दुनिया,दिल्ली,23.12.2010)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
स्कूलों में जंक फूड और कार्बोनेटेड पेय के बिक्री मामले पर गैर सरकारी संगठन उदय फाउंडेशन की ओर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न स्कूलों में जंक फूड पर पाबंदी लगा दी जाए? इस पर अगली सुनवाई नौ फरवरी को होगी। स्कूलों और आसपास के पांच सौ यार्ड क्षेत्र में जंक फूड और कार्बोनेटेड पेय की बिक्री पर रोक लगाने की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार का पक्ष जानने के लिए उनसे कहा कि वे कोर्ट को मामले में अपनी प्रतिक्रिया दें। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की सदस्यता वाली खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल को मामले में एमीकस क्यूरी नियुक्त किया गया है। गैर सरकारी संगठन उदय फाउंडेशन की ओर से दायर जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय सुनवाई कर रही थी। याचिका में स्कूलों और शैक्षिक संस्थाओं के आसपास पांच सौ यार्ड के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी।

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