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23 दिसंबर 2010

रांची:राजकीय उच्च विद्यालय,बाजरा के छात्र बिना पढ़े देंगे मैट्रिक परीक्षा

कहते हैं कि सरकारी अस्पताल की दवाई और सरकारी स्कूल की पढ़ाई से फायदा नहीं होता है। लोगों के जेहन में बैठी इस धारणा की पुष्टि बाजरा हाईस्कूल की तल्ख हकीकत से भी हो रही है। जहां सातवीं से लेकर दसवीं तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए केवल एक शिक्षक है, उन्हें भी चुनाव में ड्यूटी दे दी गई है। मजबूरी में शिक्षक ने दसवीं के छात्रों को स्कूल आने से मना कर दिया है, ताकि उनका समय बर्बाद नहीं हो।

राजकीय उच्च विद्यालय,बाजरा के छात्र इस बार बिना पढ़े ही मैट्रिक की परीक्षा देंगे क्योंकि स्कूल में न तो उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक हैं और न उनका कोर्स पूरा हुआ है। एक साल में महज तीन माह ही स्कूल में पढ़ाई हो पाई है। 10वीं कक्षा का मात्र 40 फीसदी पाठ्यक्रम ही पूरा हो सका है।

ताज्जुब है कि पिछले चार महीनों से यह स्कूल मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से प्रभारी प्रधानाचार्य कृष्णपद साहू ने 10वीं के सभी 73 छात्रों को छुट्टी दे दी। साहू का तर्क है कि विद्यालय आकर छात्रों का समय बर्बाद होता है, घर पर रहकर वे कम से कम परीक्षा की तैयारी तो कर पाएंगे।

सितंबर से नहीं हैं शिक्षक
प्रभारी प्रधानाचार्य साहू ने कहा कि बीते सितंबर से स्कूल में शिक्षक नहीं है। इस बारे में एचआरडी सचिव, निदेशक, आरडीडीई व जिला शिक्षा पदाधिकारी को सूचना दी गई। सिर्फ आश्वासन दिया गया कि इस महीने में शिक्षकों का पदस्थापन किया जाएगा। साहू ने बताया कि पंचायत चुनाव में उनकी ड्यूटी लगाई गई है। ऐसे में उनके न रहने पर स्कूल खोलने की जिम्मेदारी वहां की लिपिक लक्ष्मी लकड़ा पर रहती है।

सात शिक्षक चाहिए

स्कूल के 339 छात्रों के लिए गणित, विज्ञान, हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत में एक-एक व सामाजिक विज्ञान में दो शिक्षकों की जरूरत है। साहू ने कहा, स्कूल का रिजल्ट पहले सौ प्रतिशत रहता था, मगर शिक्षकों की कमी से पिछले साल यह 78 प्रतिशत रहा था। इस बार मैट्रिक का रिजल्ट क्या रहेगा, भगवान ही जानता है।

सत्र परीक्षाएं भगवान भरोसे
स्कूल में आठवीं व नौवीं के छात्रों की सेकेंड टर्मिनल परीक्षाएं चल रही हैं। लेकिन इसके लिए स्कूल में कोई वीक्षक नहीं है। साहू कहते हैं, सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए सत्र परीक्षाएं ली जा रही हैं। कोर्स पूरा नहीं हो रहा है। इसलिए सत्र परीक्षाओं में स्कूल के विद्यार्थी शामिल तो होते हैं मगर यह महज परीक्षा देकर औपचारिकता पूरी करना ही है(दैनिक भास्कर,रांची,23.12.2010)।

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