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05 दिसंबर 2010

फिलहाल यूपी में नहीं लागू होगा सीसैट

स्केलिंग का दंश झेल रहे उप्र लोक सेवा आयोग के प्रतियोगी परीक्षार्थियों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही। आयोग ने 2011 की आने वाली पीसीएस की रिक्तियों में सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूट टेस्ट (सीसैट) लागू करने की संभावना से इंकार कर दिया है। इससे उन प्रतियोगी छात्रों को झटका लगा है जो अन्य विषयों की तुलना में ज्यादा प्रश्न हल करने के बावजूद स्केलिंग की वजह से प्रारंभिक परीक्षा में चयन से वंचित रह जाते हैं। चयन को और पारदर्शी व सरल बनाने के लिए संघ लोक सेवा आयोग ने 2011 की आइएएस परीक्षा में सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूट टेस्ट (सीसैट) लागू कर दिया है। इसको देखते हुए प्रतियोगी छात्र यह कयास लगा रहे थे कि उप्र लोक सेवा आयोग भी शायद 2011 में सीसैट लागू कर दे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यदि उप्र लोक सेवा आयोग भी संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर सीसैट लागू कर देता है तो पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी और सभी के लिए एक समान पेपर हो जाएगा। सीसैट लागू होने के बाद प्रारंभिक परीक्षा में सिर्फ जीएस और सीसैट का पेपर होगा। इससे न सिर्फ स्केलिंग की समस्या खत्म हो जाएगी, बल्कि लोक सेवा आयोग का समय और श्रम भी बचेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक मुरलीधर दुबे ने बताया कि 2011 की पीसीएस की परीक्षा में सीसैट लागू नहीं हो पा रहा है, इस बार भी परीक्षा पुराने पैटर्न पर ही ली जाएगी। सीसैट लागू होने में अभी समय लगेगा। यह 2012 में लागू हो सकता है।

क्या है स्केलिंग :
कुछ विषयों में माना जाता है कि आसानी से ज्यादा प्रश्न हल हो जाते हैं, जबकि कुछ विषयों में अपेक्षाकृत कम। उप्र लोक सेवा आयोग ने इसे बैलेंस करने के लिए एक फार्मूला तैयार किया है, जिसके आधार पर कुछ विषयों में उतने ही प्रश्न हल करने पर नंबर बढ़ते हैं तो कुछ विषयों में घटते हैं। जैसे उप्र लोक सेवा आयोग की 2009 की प्रारंभिक परीक्षा में इतिहास में 99 प्रश्न हल करने पर दो अंक अतिरिक्त जुड़े, जबकि राजनीति विज्ञान में 102 प्रश्न हल करने वाले प्रतियोगियों के 36 नंबर घटे। इस फार्मूले को स्केलिंग कहते हैं और इसी पर विवाद है।(अमरीश शुक्ल,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,5.12.2010)।

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