पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी के तीन टीचरों के 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट करने के मामले में कोई भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके बाद उन दर्जन भर टीचरों की उम्मीदों को भी झटका लग सकता है जिनके मामले की सुनवाई मार्च 2011 में है। यूनिवर्सिटी में टीचरों की रिटायरमेंट आयु 60 साल है लेकिन पिछले कुछ समय में केंद्र सरकार के स्तर पर हुई कुछ डेवलपमेंट के बाद टीचरों को उम्मीद जगी थी कि शायद पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंट्रल फंडेड होने संबंधी प्रक्रिया आगे बढ़ने के बाद वह भी नए नियमों की जद में आ जाएं। यूजीसी ने छठे पे कमीशन में टीचरों की आयु 60 से 65 वर्ष बढ़ाने की संस्तुति की लेकिन यह फैसला केंद्र ने राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया। कुछ राज्यों में तो इस संस्तुति को मान लिया गया लेकिन कुछ जगह अभी भी आशंकाएं बरकरार हैं और अनिश्चितता की स्थिति है क्योंकि सरकारों को यह अंदेशा है कि कहीं दूसरे विभागों के मुलाजिम भी इसकी मांग न करने लग जाएं। पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंट्रल फंडेड कर देने संबंधी कानूनी अड़चनें समाप्त होने और इस बाबत सरकार के नए आदेश ने पीयू के 30 सितंबर और 30 नवंबर को रिटायर हुए टीचरों को उम्मीद की नई किरण दिखाई थी। 30 नवंबर को तीन टीचर जिसमें एंशिएंट हिस्ट्री विभाग के प्रो. एनके ओझा, समाज शास्त्र विभाग की प्रो. एनके तेजा, होशियारपुर रीजनल सेंटर में संस्कृत के प्रो. कृष्ण मुरारी की रिटायरमेंट पर हाईकोर्ट ने रोक लगाने संबंधी याचिका खारिज कर दी। तीनों 60 वर्ष की उम्र में रिटायर हो रहे थे। इससे पहले करीब 55 टीचरों को हाईकोर्ट ने 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट से पहले स्टे दे दिया था जिसकी बदौलत कई टीचर तो 63 साल की उम्र तक यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं देते रहे। हाईकोर्ट ने बाद में अपने ही एक आदेश में 24 घंटे के भीतर इनकी सेवाएं समाप्त करने का पंजाब यूनिवर्सिटी को आदेश दे दिया। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर इन टीचरों को हटा भी दिया हालांकि बाद में इन टीचरों के लिए री-इंप्लायमेंट स्कीम लागू कर दी गई। यानि इन्हें रिटायर होने के समय दिए जाने वाले वेतन में से पेंशन कम कर सेलरी दी जाएगी। सीनेट ने भी इस पर मोहर लगा दी। 4 दिसंबर को हुई सीनेट में भी इस मसले पर वीसी प्रो. आरसी सोबती ने जानकारी दी और सीनेट के सामने प्रस्ताव रखा था कि जिन्हें हाईकोर्ट ने स्टे देने से इनकार कर दिया उन्हें री-इंप्लायमेंट दी जानी चाहिए या नहीं तो सीनेट सदस्यों ने कहा कि री-इंप्लायमेंट पर तो किसी तरह की रोक नहीं लगी। हाईकोर्ट से जिन दर्जन भर टीचरों की रिटायरमेंट फिलहाल रुकी हुई है वह यूनिवर्सिटी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन्होंने कोर्ट में हलफनामा दे रखा है कि वह अपने रिस्क पर ऐसा कर रहे हैं। जो कोर्ट का आदेश होगा, उसे मानेंगे। पिछली सीनेट में यह बात भी उठी थी कि जो टीचर कोर्ट में गए हैं, उन्हें री-इंप्लायमेंट देनी है या नहीं(साजन शर्मा,दैनिक जागरण,चंडीगढ़,9.12.2010)।
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