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14 दिसंबर 2010

दिल्ली में नर्सरी दाखिलाःमैनेजमेंट कोटा जारी रहने के आसार

दिल्ली सरकार राजधानी के स्कूलों में नर्सरी के दाखिलों में केंद्र सरकार के निर्देश पर लॉटरी सिस्टम अपनाएगी। सरकार इस मामले में शहर के पब्लिक स्कूलों के मैनेजमेंट कोटे को बहाल रखने के भारी दबाव में है। इसके चलते सरकार ने नन्हें-मुन्नों के दाखिले के लिए पांच श्रेणियां बनाने का फैसला किया है। इन श्रेणियों में स्कूलों के लिए डिस्क्रिशनरी (स्व-विवेक) श्रेणी भी होगी।

नर्सरी दाखिले में केंद्र के शिक्षा के अधिकार कानून के तहत लॉटरी सिस्टम को लागू करने के साथ ही अलग-अलग श्रेणियां बनाकर रैंडम सेलेक्शन होगा। इन श्रेणियों में स्कूल से बच्चे के घर की नजदीकी (नेबरहूड), सगे भाई-बहन (सिबलिंग), अकेले अभिभावक (सिंगल पैरेंट) और स्कूल के पुराने विद्यार्थी (एल्युमिनाई) की चार श्रेणियां बनाएगी। इसके अलावा एक श्रेणी स्कूलों के स्वविवेक (डिक्रिस्नरी) की बनाई जाएगी। लॉटरी करते समय इन्हीं मानकों को आधार बनाया जाएगा। ऐसा होने पर स्कूलों को अपना मैनेजमेंट कोटा बरकरार रखने की छूट मिल जाएगी।

नर्सरी दाखिले में खास बात यह भी है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रत्येक स्कूल में २५ फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए आरक्षित की जानी है। जाहिर है कि बाकी की ७५ फीसदी सीटों में ही श्रेणियों के मानक लागू होंगे।

मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित दिल्ली सरकार के कुछ अन्य अधिकारियों की भी सोमवार शाम इस मुद्दे पर बैठक हुई। बैठक के बाद शिक्षा मंत्री सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून के तहत जारी दिशा निर्देशों में रैंडम सेलेक्शन की जिस प्रणाली का जिक्र किया गया है उसे लेकर दिल्ली सरकार ने अपने विधि व न्याय विभाग से राय मांगी थी और उसी आधार पर हाल ही में एक पत्र केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग को भेजा था। सिंह ने बताया कि केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने दिल्ली सरकार की राय तो मान ली है लेकिन सरकार को केंद्र से इस बारे में मिलने वाले लिखित आदेश का इंतजार है। उन्होंने कहा कि सरकार बुधवार को तस्वीर साफ कर देगी। मुख्यमंत्री श्रीमती दीक्षित ने पिछले दिनों लॉटरी सिस्टम को बिल्कुल खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि यह प्रणाली दिल्ली में स्कूलों और अभिभावकों दोनों के लिए उपयुक्त नहीं है। समझा जा रहा है कि उसके बाद ही सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है(नई दुनिया,दिल्ली,14.12.2010)।

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