सरकारी दावे कुछ भी हों, लेकिन देश के हाई प्रोफाइल उच्च शिक्षण संस्थानों में भी दाखिले की प्रक्रिया पूरी तरह दुरुस्त नहीं है। तभी तो लगभग ढाई दर्जन छात्रों ने जालसाजी करके विदेशी छात्रों को सीधे दाखिला योजना के तहत एनआइटी और तकनीकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में प्रवेश पा लिया। शिकायत के बाद मामला पकड़ा गया। मुकदमे दर्ज हुए और अब सीबीआइ उनकी जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा शैक्षिक सत्र (2010-11) के दौरान ही 19 छात्रों ने नेपाल का होने के दस्तावेजी सबूत के आधार पर विदेशी छात्रों को सीधे दाखिला योजना के तहत जयपुर के मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में दाखिला ले लिया। मामले की शिकायत के बाद शुरुआती पड़ताल में उनके दस्तावेजी सबूत फर्जी पाए गए, तो संस्थान ने दाखिला रद कर उन्हें निकाल दिया। इसी तरह पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, तकनीकी विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में भी 11 छात्रों ने खुद को नेपाली मूल का बताकर दाखिला ले लिया। हालांकि तत्काल बाद ही जांच-पड़ताल में उनके दस्तावेजी सबूत सही नहीं पाए गए। लिहाजा विश्वविद्यालय प्रशासन ने दाखिले को रद कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है। सरकार ने भी इन फर्जी दाखिलों व कार्रवाई की पुष्टि की है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक नेपाल का छात्र होने का दावा करके कुछ छात्रों ने दाखिले की कोशिश की। उनके मुताबिक चूंकि नेपाल के लोगों को भारत में प्रवेश के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती, लिहाजा छात्रों ने नेपाली नागरिकता कार्ड का हवाला देकर दाखिले ले लिए थे लेकिन अब पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के 11 छात्रों के मामले की जांच अब सीबीआइ की चंडीगढ़ शाखा कर रही है जबकि मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर में 19 छात्रों के फर्जी तरीके से दाखिले की जांच वहां की सीबीआइ को सौंप दी गई है। बताते हैं कि इस बीच एमएनआइटी ने नई दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास से संपर्क कर संबंधित छात्रों के पासपोर्ट व नागरिकता कार्डो के सत्यापन के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। सरकार ने दोनों मामले में छात्रों के नागरिकता कार्ड व अन्य दस्तावेजी सबूतों की ठोस जांच-पड़ताल के लिए नेपाल में काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया है। विदेशी छात्रों को सीधे दाखिला योजना के तहत सभी 18 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआइटी), पंजाब इंजीनियरिंग कालेज और केंद्रीय मदद से चलने वाले आधा दर्जन अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में ग्रेजुएट स्तर पर दाखिले के लिए लगभग 2500 सीटें विदेशी छात्रों के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर दूसरे छात्रों को दाखिला नहीं दिया(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,6.12.2010)।
इन पर कोई कार्यवाई क्यों नही होती। ऐसे संस्थानों पर पाबन्दी लगा देनी चाहिये।
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