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06 दिसंबर 2010

बिहार में जजों के रिक्त पदों पर आरक्षण नहीं

बिहार में दो साल से खाली पड़े सिविल जज जूनियर डिवीजन के 217 पदों पर भर्ती में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इन पदों को पुराने नियमों के मुताबिक ही भरने का आदेश दिया है। बिहार में 2008 से सिविल जज जूनियर डिवीजन के 217 पद खाली पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर 2008 को ही इन्हें भरने का आदेश दे दिया था लेकिन ओबीसी आरक्षण लागू करने को लेकर मामला लटका था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से साफ कह दिया है कि भर्ती पुराने नियमों के मुताबिक ही होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर 2008 में मौजूदा नियमों के मुताबिक भर्ती का आदेश दिया था। इससे पहले राज्य सरकार के वकील राकेश द्विवेदी और मनीष कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से जारी अवमानना नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं की है लेकिन मामला लंबित रहने के दौरान ही गत वर्ष 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की ही एक अन्य पीठ ने राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण लागू करने की दिशा में काम करने की छूट दी थी। उस आदेश के बाद राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव किया और सिविल जज जूनियर डिवीजन की भर्ती में ओबीसी आरक्षण लागू किया। यही नहीं, सरकार ने संशोधनों को पूर्व प्रभाव से लागू किया लेकिन नए संशोधनों को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी गई। हाईकोर्ट ने याचिका लंबित रहने के दौरान भर्ती परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी। इसी कारण मामला लटका रहा। राज्य सरकार की दलील थी कि सरकार को कानून बनाने का अधिकार है और वह उसे पूर्व प्रभाव से लागू भी कर सकती है। निचली अदालतों में खाली पदों को भरने के मामले में न्यायालय के मददगार वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने राज्य सरकार की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने 2008 में मौजूदा नियमों के मुताबिक भर्ती करने का आदेश दिया था और उसी के अनुसार भर्ती होनी चाहिए। पटना हाईकोर्ट की पैरवी कर रहे वकील ने भी हंसारिया की दलीलों का समर्थन किया(दैनिक जागरण,पटना,6.12.2010)।

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