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30 दिसंबर 2010

बरकतउल्ला विश्वविद्यालयःपरीक्षा शुरू होते ही कॉपियां ख़त्म,वरिष्ठता को लेकर छिड़ी जंग

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में एक बार फिर कापियों की तंगी सामने आ गई है। इस साल की पहली परीक्षा दो दिन पहले शुरू हो गई है, लेकिन विश्वविद्यालय में कापियों का भंडार पूरी तरह खाली है। हालत यह है कि कालेजों को परीक्षा के लिए कापियां भी दिहाड़ी की तरह मिल रही हैं। इसके चलते कालेजों को भी तंग हाथ से कापियां बांटना पड़ रही हैं। बावजूद इसके कापियों को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं 27 दिसंबर से शुरू हुई हैं, लेकिन हालत यह है कि गुरुवार को होने वाले पेपरों के लिए कापियां बुधवार शाम तक मिल सकी हैं। कई कालेजों को आज के पेपर के लिए आज की कापी मिली हैं। चिंता जनक यह है कि किसी भी कालेज को गिनती से अधिक कापी नहीं मिली हैं। आज की तिथि में किसी भी कालेज में अगले पेपर के बाद की कापियां नहीं हैं। यदि 31 जनवरी तक नया लाट नहीं पहुंचा तो एक जनवरी को होने वाला पेपर ही गफलत में पड़ सकता है। पहली बार तंगी में हो रहीं परीक्षाओं को देख विवि के अधिकारी-कर्मचारियों से लेकर परीक्षा केंद्रों का स्टाफ भी आशंकित बना हुआ है। इसलिए बनी अव्यवस्था : विवि प्रशासन इस बार परीक्षा फार्म भरने तक उत्तर पुस्तिकाओं की छपाई का ठेका नहीं दे सका था। दरों को लेकर विवि प्रशासन के साथ ही कार्य परिषद सदस्यों में ही खींचतान मची रही। परिषद सदस्यों का आरोप था कि विवि के अधिकारी अपने चहेते प्रिंटर्स को काम देना चाह रहे हैं। इन आरोपों को झूठा साबित करने ऐसा माहौल बनाया गया कि नवंबर में हुई बैठक में कार्यपरिषद को विवि की मर्जी का ही फैसला करना पड़ा। दिसंबर में ही ठेका फायनल होने के कारण अभी तक छपाई पूरी नहीं हो सकी है। इस परीक्षा में करीब 44 हजार छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं।

सेक्ट का केंद्र बदला : परीक्षा के पहले छात्र संख्या का ध्यान न रखना अब विवि के लिए ही परेशानी का सबब बन रहा है। इसके चलते बीयू को परीक्षाओं के दौरान कालेजों की उठापटक करना पड़ रही है। इसी तरह की अव्यवस्था सामने आने पर बीयू ने सेक्ट कालेज के बीकॉम प्रथम सेमेस्टर के छात्रों को केंद्र अब गांधी पीआर कालेज में कर दिया है। पहले इन्हें कैरियर कालेज में केंद्र दिया गया था। मगर बीसीए का पेपर भी इसी दिन होने से वहां बैठक व्यवस्था चरमराने की नौबत बन गई। बीकॉम प्रथम सेमेस्टर में करीब 15 हजार विद्यार्थी शामिल हो रहे हैं।

उधर,बीयू संचालकों और प्रोफेसरों के बीच वरिष्ठता का सवाल खड़ा हो गया है। प्रोफेसरों ने संचालकों को अपने संवर्ग से अलग करने की मुहिम छेड़ दी है। इसके चलते विवि में सालों से प्रोफेसरी झाड़ रहे आधा दर्जन से अधिक संचालकों पर संकट आ गया है। इसे देखते हुए संचालक भी अपना रुतबा बचाने सक्रिय हो गए हैं। नए सिरे से वरिष्ठता सूची की तैयारी शुरू होते ही बीयू के तमाम प्रोफेसरों ने अपनी आपत्ति से प्रशासन को भी व्यक्त कर दी है। प्रोफेसरों ने कुलपति और कुलसचिव को दिए अभ्यावेदन में उंगली उठाई है कि सहायक और उप संचालक के पद पर नियुक्ति के बाद कोई प्रोफेसर कैसे बन सकता है। मगर विवि ने संचालकों को प्रोफेसर के दर्जे के साथ ही वरिष्ठता सूची में भी शामिल कर लिया। जबकि नियमानुसार प्रोफेसर पद के लिए कोड 49 के तहत चयन जरूरी होता है। संचालक कभी भी प्रोफेसरों की वरिष्ठता सूची में शामिल नहीं हो सकते। विवि द्वारा सालों से अपनाई जा रही प्रक्रिया पर उंगली उठाते हुए प्रोफेसरों ने विभिन्न संचालकों को डीन व बोर्ड अध्यक्ष बनाने को भी मुद्दा बनाया है। शासन के आदेश का हवाला देते हुए प्रोफेसरों ने आपत्ति जताई कि संचालकों को वेतन व सुविधाएं प्रोफेसर स्तर की दी जा सकती हैं, लेकिन इन्हें शैक्षणिक पद नहीं माना जा सकता। प्रोफेसरों की ओर से लिखित में दी गई आपत्ति में मुख्य रूप से सतत शिक्षा एवं विस्तार कार्यक्रम के डॉ. नीरजा शर्मा एवं डॉ. कालिका यादव को निशाना बनाया है। मगर इनके खिलाफ कार्रवाई होने पर चार अन्य चार अन्य विभागों के प्रोफेसर भी निशाने पर आ सकते हैं। इस तरह की कवायद शुरू होते ही महिला अध्ययन विभाग की डायरेक्टर डॉ. आशा शुक्ला ने अपना स्पष्टीकरण विवि को सौंप दिया है। इसी तरह के अभ्यावेदन अब अन्य संचालक भी दे सकते हैं। रजिस्ट्रार डॉ. संजय तिवारी का कहना है कि मंगलवार को प्रोफेसरों का अभ्यावेदन मिला है। कुलपति से बातचीत के बाद इस मामले में अगली कार्रवाई की जाएगी(दैनिक जागरण,भोपाल,30.12.2010)।

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