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30 दिसंबर 2010

छत्तीसगढ़ःरायपुर में ही मिल सकेगी शोधार्थियों को सारी सुविधाएँ

राजधानी के शोधार्थियों को अब शोध के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। राजधानी में ही उन्हें शोध के सारे दस्तावेज और अभिलेख उपलब्ध हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ पुरातात्विक विभाग के प्रयास से सप्ताह के अंत तक इन दस्तावेजों के अभिलेखों को भोपाल से लाने का प्रयास किया जा रहा है। इन्हीं धरोहरों को लाने के लिए विभाग के आयुक्त व संस्कृति एवं पुरातात्विक विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भोपाल गए हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 10 साल के लंबे अंतराल के बाद मध्यप्रदेश शासन ने छत्तीसगढ़ को यहां की प्राचीन धरोहरों को सौंपने की महमति दी है। विभागीय अफसरों के अनुसार ये पुराने अभिलेख तीन चरणों में मंगाए जाएंगे। जिन्हें ट्रक से लाने की व्यवस्था की जा रही है। इनमें 1956 से पहले और उस समय प्रदेश के सभी जिलों को लेकर तैयार गजेटियर, राजा-महाराजाओं, जमींदारों के लिखे पुराने पत्र एवं मूर्तियां शामिल हैं। शुरुआत में इन अभिलेखों को शहीद स्मारक भवन में रखा जाएगा। इनमें से महत्वपूर्ण और दुर्लभ गजेटियर महंत घासीदास संग्रहालय में रखे जाएंगे।


देरी की वजह: राज्य गठन के बाद प्रशासनिक स्तर पर यह तय हुआ कि मध्यप्रदेश के अभिलेखागार में मौजूद तमाम जरूरी दस्तावेज छत्तीसगढ़ को दिए जाऐंगे। अभिलेखागार एवं संस्कृति संचालनालय के अफसर गजेटियर देना नहीं चाह रहे थे। संस्कृति विभाग की कोशिश से मध्यप्रदेश शासन इन्हें देने की स्वीकृति दी है। पुराने दस्तावेजों व अभिलेखों के यहां आ जाने से नए सत्र के शोधार्थियों को काफी सुविधा होगी।



बनेगा म्युजियम: विभाग की ओर से नई राजधानी में सर्वसुविधायुक्त म्युजियम बनाए जाने प्रस्ताव राज्य शासन के पास रखा गया है। इसमें आधुनिक अभिलेखागार, पुस्तकालय, सांस्कृतिक संचालनालय, कान्फ्रेंस हाल, कार्यशाला के लिए भवन आदि बनाए जाएंगे। संस्कृति एवं पुरातत्व आयुक्त की ओर से इसके लिए 64 एकड़ जमीन देने की मांग की गई है। लेकिन राज्य सरकार से केवल 5-7 एकड़ ही भूमि स्वीकृत हुई है। 


इनका कहना है: छत्तीसगढ़ की गौरव घर आ रही है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। इसे लाने के लिए विशेष तरह के ट्रक का निर्माण कराया जा रहा है। यहां लाने के बाद उन्हें शहीद स्मारक भवन में रखा जाएगा। इनमें से दुर्लभ दस्तावेजों को महंत घासीदास संग्रहालय में रखा जाएगा। हमारा प्रयास होगा कि नई राजधानी में म्युजियम बनवाकर इसे रखा जाए।
राजीव श्रीवास्तव 
आयुक्त संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़(दैनिक भास्कर,रायपुर,30.12.2010)

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