स्कूल फीस के मुद्दे पर सालों से संघर्षरत होने के बावजूद राज्य सरकार को तनिक भी पसीजते न देखकर जनता ने अब हताश होकर गांधीगीरी का दामन थामना शुरू कर दिया है। इसकी क्रम में शुक्रवार को कल्याण पूर्व के आर्य गुरुकुल स्कूल के अभिभावकों ने भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया। फीस को 11,400 रु सालाना से बढ़ाकर 17,100 रु किए जाने का विरोध कर रहे अभिभावकों की गांधीगीरी काफी हद तक काम आई। दोपहर बाद स्कूल मैनेजमेंट ने राहत देते हुए फीस वृद्धि को घटाना स्वीकार कर लिया।
बता दें, स्कूल में 915 बच्चे पढ़ रहे हैं। एक पेरेंट अरबिंद प्रसाद के मुताबिक, 'बीच सत्र में 35 प्रतिशत फीस बढ़ाना कतई असंगत था, लेकिन मैनेजमेंट ने हमारी परवाह नहीं की। शुक्रवार को हमारा अनशन सुबह 9 बजे शुरू हुआ जो 2:30 बजे तक चला। तब मैनेजमेंट और प्रिंसिपल ने 6 अभिभावकों को बात करने के लिए बुलाया और तीन हजार रु कम करने की बात कही। हालांकि यह नाकाफी था, लेकिन हमने इसे स्वीकार कर लिया है।' स्कूल फीस को किश्तों में लेने पर भी राजी हो गया है।
इससे पहले खार के मुंबादेवी स्कूल ने भी अभिभावकों के जबरदस्त विरोध के बाद फीस वृद्धि वापस ले ली थी। 'फोरम फॉर फेयरनेस इन एजुकेशन' के तहत हुए इन दोनों आंदोलनों के नतीजों से फोरम के कार्यकर्ता बेहद प्रसन्न हैं। इसके अध्यक्ष जयंत जैन ने कहा, 'स्कूल प्रशासन झुकने लगे हैं क्योंकि उन्हें समझ में आ रहा है कि अभिभावक एक हो रहे हैं। लेकिन अच्छा यही है कि स्कूल हड़ताल या अनशन की नौबत आने न दें। हर स्कूल में पीटीए बने और उसकी सलाह से ही फीस बढ़ाई जाए, तो अभिभावकों को भी तनाव नहीं झेलना पड़ेगा और स्कूल का नाम भी खराब नहीं होगा-'Anil Shinde,प्रदर्शन करते हुए आर्य गुरुकुल स्कूल के अभिभावक(नवभारत टाइम्स,मुंबई,4.12.2010)।
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