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01 दिसंबर 2010

सिद्धार्थनगरःविज्ञान की शिक्षा हुई सपना

बात शहर के सिविल लाइन वार्ड निवासी एक व्यवसायी की बिटियां की है। उसने नगर स्थित एक मात्र ग‌र्ल्स इंटर कालेज की दु‌र्व्यवस्था की चर्चा चलने पर अपनी मम्मी से सवाल किया कि शिक्षिकाओं के अभाव में कल्पना चावला बनना तो दूर, वह इंटर कैसे पास कर सकेगी। इंटर की परीक्षा में अभी चार महीने हैं। वह इंटर पास कर सकेगी अथवा नहीं, मगर उसने जो सवाल उठाया है, उससे बालिका शिक्षा की पोल खुल गई है।

दरअसल स्थानीय राजकीय कन्या इंटर कालेज पिछले डेढ़ दशक से बर्बादी की ओर जा रहा है। एक-एक कर शिक्षिकाएं घटती जा रही हैं। लैब, कम्प्यूटर सेक्शन व बसों का संचलन बंद हो चुका है। चले भी तो कैसे, संसाधनों का अभाव है। डेढ़ दशक पूर्व इस इंटर कालेज में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या हजारों में थी, जो आज मात्र 145 रह गई है। इस दौरान विद्यालय पिछले 15 वर्षो से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहा है। प्रवक्ताओं व एलटी ग्रेड के शिक्षिकाओं की तैनाती का हाल और भी बुरा है। स्वीकृत 7 प्रवक्ताओं के सापेक्ष सिर्फ 4 ही कार्यरत है। इंटर की कक्षाओं के लिए नागरिक शास्त्र, गृह विज्ञान, संगीत गायन जैसे महत्वपूर्ण विषयों की टीचर अर्से से नहीं है। एलटी ग्रेड में गणित, विज्ञान व जीव विज्ञान की शिक्षिकाओं का टोटा बना हुआ है। दिसम्बर 94 में गणित विषय की मनोरमा यादव, 98 में विज्ञान विषय की मिनौती दास व जीव विज्ञान की तैनात शिक्षिका का 97 में हुए तबादले के बाद कोई तैनाती नहीं हुई। वर्ष 2001 में सामान्य विषय सामाजिक विज्ञान व गृह विज्ञान में श्रीमती रीता मिश्रा व रामरती यादव के स्थानान्तरण के बाद उनका स्थानापन्न नहीं आया।

संसाधन पर पैसा तो खर्च हुआ, मगर सटीक नियोजन के अभाव में एक-एक कर व्यवस्थाएं धराशायी होती चली जा रही हैं। कम्प्यूटर लैब भी टीचर के अभाव में बेमतलब साबित हो रहा है, साथ 51 सेट कम्प्यूटर बर्बाद होने के कगार पर है। प्रयोगशाला भी बनकर पिछले पांच वर्षो से तैयार है, मगर विषयाध्यापक न होने से बंद पड़ा है। वर्ष 91-92 में तत्कालीन सदर विधायक धनराज यादव के प्रयास से नई बस मिली और बच्चों की फीस बदौलत एकाध वर्ष चलकर सेवा ठप हो गई, मगर बजट न मिलने के कारण बस गैरेज में खड़ी हो गई। इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि शिक्षिकाओं की कमी पूरी करने के बजाए अभी हाल में ही अनुसूचित जाति के बच्चियों के लिए लाखों की लागत से छात्रावास बनवा दिया गया। अब सवाल उठता है कि नामांकन न होने के फलस्वरूप इस छात्रावास में कौन रहेगा?

जिलाधिकारी प्रज्ञान राम मिश्र का कहना है कि राजकीय कन्या इंटर कालेज तेतरी बाजार में रिक्त पदों की पूर्ति के साथ ही संसाधन में बढ़ोत्तरी संबंधी पत्र शासन स्तर पर माध्यमिक विभाग के सचिव व निदेशक को लिखा गया है। उन्होंने बताया कि पुन: अनुस्मारक पत्र भेज रहा हूं। उधर, सदर विधायक ईश्वर चन्द्र शुक्ल कहते है कि विधानसभा में सवाल उठाने से लगायत विभागीय स्तर पर उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर जीजीआईसी तेतरी बाजार की समस्याओं से ध्यान आकृष्ट कराया गया, मगर अब तक कोई पहल न होने से स्वत: स्पष्ट होता है कि बसपा सरकार में गुहार लगाना निरर्थक है। उन्होंने बताया कि विधानसभा चलने पर पुन: इस मुद्दे को उठाऊंगा। शिक्षक विधायक ध्रुव कुमार त्रिपाठी का कहना है कि शिक्षक प्रतिनिधि होने के साथ ही जनपद निवासी होने के कारण काफी लगाव है। निर्वाचित होने के बाद से समय-समय पर तारांकित प्रश्नों के माध्यम से राजकीय कन्या इंटर कालेज में रिक्त पदों को भरने के साथ ही संसाधन बढ़ोत्तरी के लिए ध्यान आकृष्ट कराया, मगर बालिका शिक्षा के प्रति संवेदनहीन हो चुकी बसपा सरकार से कोई भरोसा नहीं रह गया है। जल्द ही इस प्रकरण पर निर्णायक संघर्ष छेड़ने की पहल करूंगा। स्थानीय बुद्ध बालिका महाविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुकी कुमारी शिखा श्रीवास्तव कहती हैं कि चुनाव के पूर्व अपनी घोषणाओं व वायदों में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की बात जरूर कहते हैं, मगर निर्वाचित होने के बाद सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि अपने को असहाय बताकर नैतिक जिम्मेदारी से पल्लू झाड़ लेते हैं(दैनिक जागरण,सिद्धार्थनगर,1.12.2010)।

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